ठाकुर जी के चरणों में गिरते हैं भक्त के आंसू: मोरारी बापू

ठाकुर जी के चरणों में गिरते हैं भक्त के आंसू: मोरारी बापू

अयोध्या। रामकथावाचक संत मोरारी बापू ने परिक्रमा के दौरान अयोध्या, तमसा तट, श्रंगवेरपुर, प्रयागराज, चित्रकूट के बाद पुन: शनिवार को आठवें दिन अयोध्या में श्रद्धालुओं और साधु-संतों को रामकथा रसपान कराया। अयोध्या कांड में प्रधान करुण रस को व्याख्यायित करते हुए बापू कहते हैं कि भक्त के सजल नेत्रों से गिरे आंसू तो मात्र ठाकुर …

अयोध्या। रामकथावाचक संत मोरारी बापू ने परिक्रमा के दौरान अयोध्या, तमसा तट, श्रंगवेरपुर, प्रयागराज, चित्रकूट के बाद पुन: शनिवार को आठवें दिन अयोध्या में श्रद्धालुओं और साधु-संतों को रामकथा रसपान कराया। अयोध्या कांड में प्रधान करुण रस को व्याख्यायित करते हुए बापू कहते हैं कि भक्त के सजल नेत्रों से गिरे आंसू तो मात्र ठाकुर जी के चरणों में ही गिरते हैं।

आंसू व्यक्ति के अहंकार का नाश करता है, कहते हुए बापू, कबीर के वाणी का स्मरण करते हुए गुनगुनाते हैं ‘कबिरा हंसना छोड़ दे, रोने से कर प्रीत। बिन रोये कित पा लिए, प्रेम पियारे मीत।।’ मानस अयोध्याकांड पर चर्चा करते हुए बाप, सुमंत्र जी की ओर से श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी जी को छोड़कर अयोध्या आने पर गहन संताप से भर जाने का मार्मिक चित्रण करते हुए कहते हैं कि नगर प्रवेश पर प्रजाजनों को क्या मुंह दिखलाऊंगा।

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महाराज दशरथ को क्या उत्तर दूंगा, माताओं से क्या कहूंगा और गुरुवशिष्ठ तो सर्वज्ञ और अंतयार्मी हैं वे तो सब जानते हैं। यह विचारकर सुमंत्र जी मन मे निश्चय करते हैं कि महाराज को मैं अभी टाल दूंगा और बाद में बताऊंगा। महारानी कैकेयी तो क्यों ही पूछेंगी और महारानी सुमित्रा तो वीरवर लक्ष्मण की माता हैं वे कुछ नहीं कहेंगी।

परंतु माता कौशल्या से क्या कहूंगा। इसी संताप में सुमंत्र जी महल में पहुंचते हैं और सब समाचार महाराज से कहते हुए उन्हें ढांढस बंधाते हैं और महाराज अत्यंत दुखी हो भक्त श्रवणकुमार के वृद्ध माता-पिता का स्मरण करते हुए अपने प्यारे राम का नाम लेते हुए परलोकगमन करते हैं। बापू ने बताया कि जब समाज में ही गैर-समझ वाले हों जाएं तो यह भी परमात्मा मिलन में विघ्न ही हैं।