दीपोत्सव : तीर्थक्षेत्र में लाखों श्रद्धालुओं ने दीपदान कर कमाया पुण्य

दीपोत्सव : तीर्थक्षेत्र में लाखों श्रद्धालुओं ने दीपदान कर कमाया पुण्य

अमृत विचार, चित्रकूट। दीपावली पर्व पर संध्याकाल में लाखों श्रद्धालुओं ने तीर्थक्षेत्र में दीपदान कर पुण्य कमाया। वर्ष भर इस अवसर की प्रतीक्षा करने वाले आस्थावानों में मंदाकिनी नदी के तट पर दीपदान करने की इतनी ललक दिखी कि कई बार भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट गए। श्रीरामचरित मानस, रामायण, रामोपाख्यान, …

अमृत विचार, चित्रकूट। दीपावली पर्व पर संध्याकाल में लाखों श्रद्धालुओं ने तीर्थक्षेत्र में दीपदान कर पुण्य कमाया। वर्ष भर इस अवसर की प्रतीक्षा करने वाले आस्थावानों में मंदाकिनी नदी के तट पर दीपदान करने की इतनी ललक दिखी कि कई बार भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट गए।

श्रीरामचरित मानस, रामायण, रामोपाख्यान, अध्यात्म रामायण, बृहत रामायण आदि ग्रंथों में चित्रकूट की महिमा बखानी गई है। विद्वान फादर कामिल बुल्के ने भी इसके महात्म्य का उल्लेख किया है। महाकवि कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् में भी इस स्थान का वर्णन है। अमावस्या पर यहां जहां तीर्थयात्रियों का रेला उमड़ता है तो दीपावली पर इस तीर्थस्थान में आने वालों की ललक उनको देखकर ही समझी जा सकती है। एक अनुमान के मुताबिक, इस साल लगभग पंद्रह लाख लोगों ने तीर्थक्षेत्र में दीपावली मेले में आकर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई।

बुंदेलखंड के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले में चित्रकूट के ही नहीं बल्कि दूरदराज के जिलों के श्रद्धालुओं ने यहां पहुंचकर पुण्यलाभ किया। चित्रकूट में भगवान राम ने अपना वनवास का सबसे ज्यादा समय बिताया था। कहते हैं कि वह यहां 11 साल 11 माह और 11 दिन रहे थे। मान्यता है कि लंका विजय के बाद जब वह अयोध्या जा रहे थे, तो उन्होंने चित्रकूट में दीपदान किया था। धार्मिक लोग तो यह भी मानते हैं कि आज भी दीपावली पर प्रभु राम यहां दीपदान करने आते हैं। दीपावली पर्व पर अमावस्या का मेला पांच दिन तक चलता है।

सोमवार को यहां लगभग पंद्रह लाख श्रद्धालुओं ने सुबह से शाम तक दीपदान किया। कामदगिरि पर्वत पर भी दीप प्रज्ज्वलित किए गए। शाम को दीपदान के समय ऐसा लगा कि मानो आकाश के तारे जमीन पर आ गए हों। दो दिन पहले से ही यहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। इस बार शासन की ओर से ट्रैक्टर ट्रालियों में बैठकर आने की रोक की वजह से तमाम ग्रामीण तो पैदल ही पहुंच गए। इस बार दो दिन की अमावस्या होने की वजह से अभी भी श्रद्धालुओं का आना जारी है।

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