बरेली: बेटे की चाह ने बना दिया मानसिक बीमार, जब पति को कोविड हुआ तब से सोचने लगी कि काश! बेटा होता

बरेली: बेटे की चाह ने बना दिया मानसिक बीमार, जब पति को कोविड हुआ तब से सोचने लगी कि काश! बेटा होता

रजनेश सक्सेना, बरेली। समाज में एक ओर जहां बेटा बेटियों में फर्क नहीं होने का दावा किया जाता है। वही, कुछ लोगों को यह फर्क इतना खलता है कि उन्हे बीमार ही नहीं बल्कि मानसिक बीमार तक बना देता है। ऐसा ही एक मामला बरेली में भी सामने आया। जिसमें एक दंपति को बेटा नहीं …

रजनेश सक्सेना, बरेली। समाज में एक ओर जहां बेटा बेटियों में फर्क नहीं होने का दावा किया जाता है। वही, कुछ लोगों को यह फर्क इतना खलता है कि उन्हे बीमार ही नहीं बल्कि मानसिक बीमार तक बना देता है। ऐसा ही एक मामला बरेली में भी सामने आया। जिसमें एक दंपति को बेटा नहीं होने की वजह से पत्नी मानसिक बीमारी का शिकार हो गई। बरेली के मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में उसकी कई काउंसलिंग के बाद उसे ठीक किया जा सका।

दंपति को दो बेटियां ही है, बेटे के लिए अभी भी कर रहे ट्राई
दरअसल, शाहजहांपुर के तिलहर के एक इलाके की रहने वाले दंपति शिक्षक है। पति माध्यमिक में तो पत्नी बेसिक स्कूल में पढ़ाती है। शादी को लंबा समय बीत जाने के बाद भी उनके दो बेटियां हुई। पहली बेटी करीब 14 वर्ष तो छोटी बेटी करीब 12 वर्ष की है। बीते अप्रैल-मई में जब पति को कोविड हुआ तो महिला ने ही उसकी देखभाल की। अस्पताल में भर्ती कराने से लेकर उसके ठीक होने के सभी काम उसने किए। इस बीच महिला यह सोचने लगी कि काश दो बेटियों में उसका एक बेटा होता तो शायद उसे यह सब करने में मदद करता। उसे खुद बिल की लंबी लाइनों में लगना पड़ता, दवाई के लिए बार-बार उसे बाहर नहीं भगना पड़ता। इन्हीं सब बातों को सोचते हुए वह बीमार होने लगी। जानकारी के मुातबिक महिला के पूरे शरीर में दर्द रहने लगा। वह दर्द इतना बड़ गया कि महिला को चलने में भी दिक्कतें होने लगी।

कई डॉक्टरों को दिखाया, मगर सभी रिपोर्ट नॉर्मल
मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की सहायक मंडलीय मनोवैज्ञानिक याशिका वर्मा ने बताया कि महिला के पति ने उसे कई जगहों पर दिखाया। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। सभी डॉक्टरों के टेस्ट में सभी रिपोर्ट नॉर्मल आई। डॉक्टरों का कहना था कि शरीर में दर्द होने का मतलब ही नहीं है। मगर उसके शरीर का दर्द खत्म नहीं हो रहा था। इसके बाद उसे महिला को बरेली के मनोविज्ञान केंद्र लाया गया। जहां पर सहायक मंडलीय मनोवैज्ञानिक याशिका वर्मा ने उनकी कांउसलिंग की। काउंसलिंग में बेटे की कमी महसूस होने की बात निकलकर आई।

करीब 7-8 कांउसलिंग के बाद हो गई ठीक
याशिका वर्मा ने बताया कि महिला की पहली काउंसलिंग से जब चीजें निकलकर सामने आने लगी तो उसकी और भी काउंसलिंग की गई। करीब सात-आठ कांउसलिंग के बाद महिला को बेहतर महसूस होने लगा। उन्होंने बताया कि अब महिला ठीक है। उसके शरीर का दर्द भी खत्म हो चुका है।

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