बरेली: पिता के पुश्तैनी काम को बेटे ने बनाया जीवन का सहारा, 40 साल से बना रहे रावण का पुतला
बरेली, अमृत विचार। दशहरा में आप रावण के पुतले को हर साल जलते देखते हैं। कहा जाता है रावण बुराई का प्रतिक होता है इसीलिए दशहरा वाले दिन बुराई का अंत किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं जो रावण का पुतला आप दशहरा में जलता हुआ देखते हैं वो आखिर कैसे तैयार किया …
बरेली, अमृत विचार। दशहरा में आप रावण के पुतले को हर साल जलते देखते हैं। कहा जाता है रावण बुराई का प्रतिक होता है इसीलिए दशहरा वाले दिन बुराई का अंत किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं जो रावण का पुतला आप दशहरा में जलता हुआ देखते हैं वो आखिर कैसे तैयार किया जाता है। किन-किन लोगों का हाथ होता है। नवरात्रि के समय में पुतले वैसे तो कई जगह तैयार किए जाते हैं लेकिन आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन रावण के पुतले बनाने में निकाल दिया।
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थाना किला के फूटा दरवाजे पर रहने वाले कल्लू मियां के बेटे शहंशाह ने बताया वह 25 साल से रावण का पुतला बनाने का काम करते हैं। रामनवमी के दो महीने से पहले उनके पास छोटे बड़े रावण के पुतले बनाने के ऑर्डर आने लगते हैं। उन्होंने अपने पिता कल्लू मियां से यह हुनर सीखा था। उनके परिवार में 40 साल से रावण का पुतला बनाया जा रहा है। उनके पिता ने मलूकपुर चौकी के पास रावण वाली गली में यह काम सीखा था। तब से वह अपने इस पुश्तैनी काम को कर रहे हैं। उनका इस काम को लेकर कई बार मजाक भी बनाया, लेकिन उन्होंने समाज की परवाह किये बगैर इस काम को जारी रखा।
साल भर होता है गुजारा, कोविड ने तोड़ी काम की कमर
शहंशाह ने बताया कि रावण मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों के साथ-साथ वह लंका भी बनाते हैं। इससे उनके पूरे साल का गुजारा चलता है पहले उनके पास नैनीताल, भवाली, हल्द्वानी ,काठगोदाम से भी ऑर्डर आते थे, लेकिन कोविड के दौर में उनके काम पर खास असर पड़ा। इस समय केवल शहर के ही ऑर्डर मिले हैं काम लगभग ना के बराबर है। काम कम होने से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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