बरेली: बेटे का दर्द देखा, मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन गईं रेखा

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। शहर के खन्नू मोहल्ला की रेखा रानी की कहानी दिल को छूने वाली है। अपने छह माह के बच्चे में हीमोफीलिया की बीमारी के दर्द को महसूस किया। इसके बाद ठान लिया कि उन्हें इस बीमारी से प्रभावित मरीजों की मदद करनी है। रेखा आज सैकड़ों मरीजों के लिए जीवनदायिनी …

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। शहर के खन्नू मोहल्ला की रेखा रानी की कहानी दिल को छूने वाली है। अपने छह माह के बच्चे में हीमोफीलिया की बीमारी के दर्द को महसूस किया। इसके बाद ठान लिया कि उन्हें इस बीमारी से प्रभावित मरीजों की मदद करनी है। रेखा आज सैकड़ों मरीजों के लिए जीवनदायिनी बन गईं हैं।

संस्था की अध्यक्ष रेखा रानी

इनकी वजह से बरेली के साथ ही बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर, हल्द्वानी, नैनीताल, अलीगढ़, कासगंज के मरीजों का निशुल्क इलाज जिले में हो रहा है। शुरुआती दौर में खुद के बूते लोगों की मदद करने का जज्बा लेकर आगे बढ़ीं रेखा के साथ आज कई लोग जुड़ चुके हैं। जरूरतमंदों की मदद में कोई दुश्वारी न आए, इसके लिए रेखा ने ”जीवन रेखा हीमोफीलिया जन कल्याण समिति संस्था” का गठन किया। वह नेकी की राह पर लेकर लगातार आगे बढ़ रहीं हैं।

40 मरीजों का रिकॉर्ड बना शुरू की थी समाजसेवा
रेखा बताती हैं कि उनके छह माह के बेटे मानस (अब 17 साल) में हीमोफीलिया की बीमारी हो गई थी। उस समय जिले में इसका इलाज नहीं होता था। उन्हें अपने बच्चे को इलाज के लिए दिल्ली, लखनऊ जाना पड़ता था। उस भागदौड़ के साथ इस बीमारी ने उनके बेटे को जो दर्द और तकलीफें दीं, उन्हें महसूस कर एक मां में ऐसी बीमारी से जुड़े लोगों की मदद करने का जज्बा जगा। बस, यही जुनून उनकी आज जिद बन गई। शुरुआती दौर में करीब 40 ऐसे मरीजों के नाम जुटाकर उनके इलाज की व्यवस्था शुरू कराई।

संस्था से ऐसे जुड़ते गए मरीज
संस्था के संरक्षक महेश पंडित बताते हैं कि 2015 में हीमोफीलिया दिवस पर जागरुकता को लेकर एक बड़ा आयोजन किया गया था। आयोजन के बाद बीमारी से पीड़ित लोगों के परिजनों ने संपर्क करना शुरू किया। जागरूकता को लेकर समय-समय पर कार्यक्रम होते हैं। प्रचार-प्रसार खूब हुआ। अब किसी को कोई दिक्कत होती है तो लोग तत्काल संपर्क करते हैं। संस्था रजिस्ट्रेशन से इलाज की पूरी व्यवस्था कराती है।

सात साल पहले खोला था केंद्र
जिले में पहले हीमोफीलिया बीमारी का इलाज नहीं होता था। 2005 से ही रेखा ने लोगों की मदद शुरू कर दी थी, फिर उनके प्रयासों को कामयाबी मिली। अच्छे कार्यों को देखते हुए 2015 में जिला अस्पताल के पेईंग वार्ड में एक कक्ष निर्धारित हो गया। वहीं, अब मरीजों को भर्ती किया जाता है, जहां मरीजों का इलाज होता है।

जानलेवा है हीमोफीलिया, बीमारी का अंत नहीं
बीमारी से पीड़ित लोगों में ज्वाइंटों में सूजन आ जाती है, इससे रक्तस्राव भी हाेने लगता है। रक्तस्राव अगर रोका नहीं गया तो मरीज की जान भी जा सकती है। ये ऐसी बीमारी है जो पूरे जीवन भर रहती है।

संस्था बहुत सराहनीय कार्य कर रही है। निशुल्क इलाज हो रहा है। हीमोफीलिया मरीजों के लिए फैक्टर-8 इंजेक्शन की दिक्कत जिला अस्पताल में है। संस्था के लोग हमसे मिले हैं। पत्र दिया है। सीएम को पत्र भेजा जाएगा। पीजीआई से इंजेक्शन की समय से समुचित व्यवस्था कराने के प्रयास किए जाएंगे- शिवाकांत द्विवेदी, डीएम।

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