हरदोई: ब्लॉक प्रमुख पद के टिकट के लिए दलबदलू व माफिया भी भाजपा में भिड़ा रहे जुगाड़

हरदोई। भाजपा से भितरघात करने वाले कई नेता क्षेत्र पंचायत चुनाव में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। भाजपा से ही टिकट मिले इस जुगाड़ में अब तक कई लाख रुपये भी खर्च कर चुके हैं, पर टिकट उन्हें ही मिलेगा ये असमंजस अभी बरकार है। लेकिन हैरानी वाली बात ये है, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग …
हरदोई। भाजपा से भितरघात करने वाले कई नेता क्षेत्र पंचायत चुनाव में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। भाजपा से ही टिकट मिले इस जुगाड़ में अब तक कई लाख रुपये भी खर्च कर चुके हैं, पर टिकट उन्हें ही मिलेगा ये असमंजस अभी बरकार है। लेकिन हैरानी वाली बात ये है, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भाजपा से खुद को ब्लॉक प्रमुख बनने का जो सपना देख रहे हैं, शाम तक वो चकनाचूर भी हो सकता है। शाम को भाजपा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर सकती है।
आपको बता दें कि जहरीली शराब का कारोबार करने वाले शराब माफ़िया शाहाबाद ब्लॉक से प्रमुख के पद पर भाजपा से अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं, तो वहीं टड़ियावां ब्लाक से विधायक पुत्र रवि प्रकाश भी प्रधान बनकर ग्राम पंचायत के विकास का धन डकारने के बाद अब ब्लॉक प्रमुख के पद पर प्रमोशन चाहते हैं। हालांकि उनके द्वारा किसानों की 27 बीघा जमीन कब्जा कर मछली पालन कराने की शिकायत प्रचलित है। चर्चा है कि किसी भी कीमत पर ये मौका वह हाथ से जाने नही देंगे, भले ही निर्दलीय चुनाव लड़कर कितने भी बीडीसी खरीदने पड़ें।
अहिरोरी ब्लॉक में पूर्व प्रमुख पन्ने सिंह भी भाजपा से प्रमुख बनने का ख्वाब देख रहे हैं, जो शायद ही पूरा हो। दरअसल राजनीति में पन्ने सिंह का अपना कोई अस्तित्व नही रहा। नरेश अग्रवाल के हाथों की कठपुतली रहे धर्मवीर सिंह पन्ने नरेश अग्रवाल के साथ ही कई दलों की सत्ता की चासनी चाट चुके हैं, इसलिए बीजेपी क्या कोई भी दल इन पर भरोसा नही कर सकता। इसी से मिलता जुलता हाल सुरसा ब्लॉक की सीट का है। यहां पूर्व प्रमुख संजय मिश्रा के भाई धनंजय मिश्रा के नेतृत्व वाले दावेदार विजयपाल पर भी भारतीय जनता पार्टी को भरोसा कर पाना आसान नही होगा।
ऐसे में दल बदलू व खराब क्षवि के प्रत्याशियों को प्रमुख पद पर आसीन होने का सपना भाजपा साकार करेगी या फिर जनता के हित व सामाजिक विकास के लिए निष्पक्ष व भरोसेमंद प्रत्याशी का चयन करेगी ये आज शाम तक साफ हो जाएगा। चूंकि यूपी में भाजपा के कार्यकाल में प्रमुख पद का ये पहला चुनाव है। इसलिए दिलचस्प होगा। पर सवाल ये उठता है कि आखिर विपक्ष से चुनाव लड़ने की जिज्ञासा कोई क्यों नही रख रहा है?
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