बरेली: कम पानी में धान की ज्यादा उपज की ओमप्रकाश ने दिखाई राह

बरेली: कम पानी में धान की ज्यादा उपज की ओमप्रकाश ने दिखाई राह

बरेली, अमृत विचार। कोरोना महामारी में जहां एक तरफ मजदूरों की कमी का किसानों को सामना करना पड़ रहा है, वहीं गिरते भूजल और बढ़ती लागत दरों को कम करने के लिए धान की सीधी बुवाई के लिए शहर से सटे बिथरीचैनपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत रजपुरा माफी निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश आसपास के गांव …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना महामारी में जहां एक तरफ मजदूरों की कमी का किसानों को सामना करना पड़ रहा है, वहीं गिरते भूजल और बढ़ती लागत दरों को कम करने के लिए धान की सीधी बुवाई के लिए शहर से सटे बिथरीचैनपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत रजपुरा माफी निवासी प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश आसपास के गांव के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। वह जैविक खेती के गुर सिखाने के साथ ही फसलों में कम पानी से सिंचाई करने की तकनीक बता रहे हैं।

ओमप्रकाश ने बताया कि नई बुवाई की तकनीक जीरो टिल ड्रिल पर आधारित है, जिसमें एक से डेढ़ इंच तक बीज की बुवाई की जाती है। इससे फसलों के पौधों की जड़ों में जल्दी सूखा नहीं आता। सिंचाई की जरूरत कम हो जाती है। उनका मानना है जीरो ट्रिल से बुवाई करने से जहां पानी की बचत होगी वहीं पैदावार भी ज्यादा होगी। समय की मांग को देखते हुए अब किसानों को परंपरागत विधि से धान की रोपाई करने बजाय डीएसआर (डायरेक्ट सीडड राइस) मतलब धान की सीधी बुवाई तकनीक से करनी चाहिए।

धान की सीधी बुवाई के अनेक फायदे हैं। खर्चे में कमी, कम लेबर, 15 से 20 प्रतिशत पानी की बचत, बिजली खर्च में भी 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी आती है। इसके अलावा फसलों में पहली सिंचाई देर से व कम सिंचाई करने के कारण खरपतवार, बीमारियां और कीट प्रकोप भी कम आता है। यह तकनीक पानी बचाने व खरपतवार की रोकथाम करने में भी सक्षम है।

ओमप्रकाश

वह बताते हैं धान की सीधी बुवाई उचित नमी और खेत की कम जुताई करके या फिर खेत की जुताई किए बिना ही आवश्यतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो ट्रिल मशीन से की जाती है। बुवाई से पहले धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध होनी चाहिए। जुताई हल्की और डिस्क हैरो से करनी चाहिए।

ईंधन ,समय और खेती की लागत भी कम
ओमप्रकाश बताते हैं धान की परंपरागत बुवाई की तुलना में डीएसआर में कम पानी खर्च होता है। साथ ही डीजल,समय और खेती की लागत के नजरिए से भी डीएसआर फायदेमंद है। डीएसआर तकनीक मिट्टी का समुचित ध्यान रखने की प्रेरणा देती है। जीवाश्म ईंधन जैसे डीजल, पेट्रोल का अधिक उपयोग पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। डीएसआर में ऐसे ईंधन का उपयोग परंपरागत बुवाई की तुलना में कम होता है। जमीन एवं जल-संसाधन संरक्षण के साथ-साथ मजदूरी व ऊर्जा की बचत होगी।

सूखे खेत में जीरो टिल ड्रिल व तुरंत सिंचाई
खेत को दो-तीन जुताई लगाकर तैयार करें। जीरो टिल ड्रिल से एक से ड़ेढ इंच गहराई पर बुवाई करें। खेत की तैयारी एवं बुवाई शाम को करें। बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। चार-पांच दिन बाद फिर सींचे। बुवाई के तुरंत बाद व सूखी बुवाई में 0-3 दिन बाद पैंडीमैथालीन 1.3 लीटर प्रति एकड़ स्प्रे करें। सीधी बुवाई में रोपाई वाली धान की बजाए ज्यादा खरपतवार आते हैं और वे भिन्न भी होते हैं। दोनों अवस्था में 15 से 25 बाद बिस्पायरीबैक 100 एमएल प्रति एकड़ स्प्रे करें।