मुरादाबाद: अस्पताल को दो सिलेंडर दे चुका था… फिर भी पापा को नहीं दी गई ऑक्सीजन

मुरादाबाद/पाकबड़ा/अमृत विचार। मैं तो अस्पताल को दो सिलेंडर दे चुका था… फिर भी मेरे पापा को ऑक्सीजन नहीं दी गई। आखिर क्यों? दिल्ली रोड स्थित ब्राइटस्टार अस्पताल के बाहर लाजपत नगर के रहने वाले आढ़ती की मौत के बाद बिलख रहा उनका बेटा, अपने पिता की मौत का कारण पूछ रहा था। परिजनों को चुप …
मुरादाबाद/पाकबड़ा/अमृत विचार। मैं तो अस्पताल को दो सिलेंडर दे चुका था… फिर भी मेरे पापा को ऑक्सीजन नहीं दी गई। आखिर क्यों? दिल्ली रोड स्थित ब्राइटस्टार अस्पताल के बाहर लाजपत नगर के रहने वाले आढ़ती की मौत के बाद बिलख रहा उनका बेटा, अपने पिता की मौत का कारण पूछ रहा था।
परिजनों को चुप कराते उनके बेटे का कहना था कि चिकित्सकों ने आक्सीजन की कमी होना बताया तो हम आक्सीजन की व्यवस्था में जुट गए। अस्पताल को आक्सीजन के दो सिलेंडर भी दे दिए। फिर पता नहीं क्यों उन्होंने पिता को ऑक्सीजन देने में कमी कर दी। उन्होंने बताया कि सोमवार को उनके पिता स्वस्थ होने लगे थे। उनसे बात भी हुई थी, जिसमें उन्होंने सेहत में सुधार होने की बात कही थी। उनके अनुसार वह नौ दिन से इस अस्पताल में भर्ती थे।
गुरुवार की सुबह उनकी मौत की सूचना से परिवार में कोहराम मच गया। उधर इसरो के एक वैज्ञानिक के पिता भी इसी अस्पताल में भर्ती थे। उनकी मौत भी आक्सीजन की कमी से बताई जा रही है। उनके बेटे का आरोप है कि आक्सीजन की सप्लाई कम हुई और उनके पिता ने दम तोड़ दिया। बुद्धि विहार के बुजुर्ग, काशीपुर के रहने वाले इंटर कालेज के उप प्रधानाचार्य, बिजनौर व पाकबड़ा निवासी युवक सहित सभी 15 लोगों की मौत का कारण आक्सीजन की कमी बताई जा रही है। अधिकांश का आरोप है कि अस्पताल की ओर से काल आई थी, जिसमें उन्होंने आक्सीजन कमी की बात कही थी।
दो मासूमों के सिर से हट गया पिता का साया
दो मासूमों के सिर से पिता का साया हट गया। ब्राइटस्टार अस्पताल में दम तोड़ने वालों में पाकबड़ा का रहने वाला युवक भी था। मूल रूप से गढ़ के एक गांव के रहने वाले इस युवक के परिवार में 10 दिन पहले ही खुशियां आई थीं। पत्नी को प्रधान पद का प्रत्याशी बनाया था। जीत की हर संभव कोशिश के लिए वह लोगों के बीच भी गया। फिर अचानक कोरोना की चपेट में आया, जिससे परिवार चिंतित हो उठा। लेकिन, वह संक्रमित होने के बाद भी परिवार का हौसला बढ़ा रहा था। उसके दो बच्चे हैं। छह साल का बेटा और ढाई साल की बेटी। वह उनसे फोन पर बात करता था। परिजनों के अनुसार वह ठीक होने लगा था। उम्मीद थी कि जल्द ही अपने बच्चों के बीच जा सकेगा। पर गुरुवार को आई उसकी मौत की खबर ने परिजनों पर पहाड़ तोड़ दिया। उनके भाई ने बताया कि वह ट्रांसपोर्ट का व्यापार करता था। मेहनत और सामाजिक कार्यों में हमेशा बढ़-चढ़कर भाग लेता था। उसकी मौत के बाद बच्चों को लेकर चिंता बढ़ गई है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
बिल मत लो इन बेचारों को शव ले जाने दो
बिल मत लो इन बेचारों से… इन्हें शव ले जाने दो। बिलखते परिजनों के बीच जब पुलिस की एक महिला अधिकारी ने अस्पताल द्वारा बार-बार बिल मांगने की आवाज सुनी तो उसका भी पारा चढ़ गया। इस अधिकारी ने अस्पताल से बिल माफ करने और पीड़ितों को शव ले जाने देने की बात कही। इस दौरान हर कोई इस महिला अधिकारी को उम्मीद की नजरों से देख रहा था। अस्पताल के चिकित्सक डा. श्रीधर का कहना है कि जितना संभव हो सकेगा, हम पीड़ितों की मदद करेंगे।
डाक्टर ने रेमडेसिविर के लिए नहीं किए हस्ताक्षर
दिल्ली रोड निवासी युवक ने बताया कि उसके पिता कोविड अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें रेमडेसिविर की जरूरत थी। यह इंजेक्शन मिल जाता, पर डीलर को चिकित्सक द्वारा लिखा पर्चा चाहिए था। कई बार चिकित्सक से कहा। लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया। इंजेक्शन न लगने से उनके पिता की मौत हो गई।