आधुनिक तकनीक

आधुनिक तकनीक

देश में महंगी स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बड़ी मार गरीब और लाचार लोगों को झेलनी पड़ती है। बढ़ती आबादी और पलायन स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता और उपलब्धता में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। भारत में सभी नागरिकों को कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। लोगों को विवश होकर निजी …

देश में महंगी स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बड़ी मार गरीब और लाचार लोगों को झेलनी पड़ती है। बढ़ती आबादी और पलायन स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता और उपलब्धता में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। भारत में सभी नागरिकों को कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। लोगों को विवश होकर निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है।

हाल के वर्षों में सरकारी बीमा योजनाओं और स्वास्थ्य कार्यक्रम से स्थिति बेहतर हो रही है तथा बजट में स्वास्थ्य के मद में आवंटन बढ़ाने से भविष्य के लिए उम्मीदें भी बढ़ी हैं, लेकिन आज भी सकल घरेलू उत्पादन का बहुत मामूली हिस्सा इस मद में खर्च होता है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में आधुनिक तकनीकी बड़ी मददगार हो सकती है। डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) में हो रही प्रगति का इस्तेमाल कर अत्याधुनिक चिकित्सा को दूर-दराज तक पहुंचाना संभव है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है, जो कंप्यूटर के इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है यानी कृत्रिम तरीके से विकसित बौद्धिक क्षमता। भारत ने कोरोना वायरस फैलने के बाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग में 45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है, जो विश्व में सभी देशों में सबसे अधिक है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से स्वास्थ्य सेवा सस्ती हो जाती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल अगर देश में किया जाए तो योग्य पेशेवरों और योग्य डॉक्टरों, नर्सों, टेक्नीशियन और बुनियादी ढांचे जैसी सेवाओं की कमी को दूर किया जा सकता है। इसके तहत लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित आंकड़ों में सूचनाओं की पड़ताल विशिष्ट क्षमता से लैस कंप्यूटर द्वारा की जाती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भविष्य में होने वाली समस्याओं का आकलन किया जा सकता है। डाटा के केंद्रीय होने से कई तरह के परीक्षण और अनुसंधान में भी मदद मिल सकती है। इस तरह से भारत में होने वाली बीमारियों को समय रहते रोका जा सकेगा। इसका आर्थिक महत्व भी है।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का आकार 2023 तक लगभग 133 अरब डालर होने का अनुमान है। तकनीक के प्रयोग में होने वाली प्रगति का लाभ ऐसे लोग भी उठा सकते हैं, जो महंगा इलाज करा पाने में सक्षम नहीं है। उम्मीद है कि सरकार और निजी क्षेत्र के संस्थान व्यापक तौर पर इस दिशा में गति तेज करेंगे। इससे हम एक ऐसा समाधान पा सकते हैं, जो कम दाम में एक बड़ी आबादी की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं और मृत्यु दर को कम कर सकते हैं।

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