बाराबंकी: लहसुन-मिर्च की संयुक्त खेती से 30 फीसदी तक खर्च कम, आमदनी दोगुनी...किसानों को मिली नई तकनीक 

बाराबंकी: लहसुन-मिर्च की संयुक्त खेती से 30 फीसदी तक खर्च कम, आमदनी दोगुनी...किसानों को मिली नई तकनीक 

दीपराज सिंह/देवा/बाराबंकी, अमृत विचार। किसानों के लिए खेती अब सिर्फ मेहनत का नहीं, बल्कि समझदारी और बेहतर प्लानिंग का विषय बन गया है। कम लागत में अधिक आमदनी के लिए किसान नई तकनीकें अपना रहे हैं। इसी का एक सफल उदाहरण है लहसुन और मिर्च की संयुक्त खेती। यह खेती अक्टूबर में शुरू होती है।

किसान पहले लहसुन की बुवाई करते हैं और अलग जगह मिर्च की नर्सरी तैयार करते हैं। एक महीने बाद जब लहसुन के पौधे निकल आते हैं, तब उसी खेत में मिर्च के पौधों की रोपाई कर दी जाती है। एक ही खेत में दो फसलों के कारण सिंचाई, मजदूरी, खाद और कीटनाशक का खर्च साझा हो जाता है। इससे कुल लागत में 25 से 30 प्रतिशत की बचत होती है। लहसुन की खुदाई के समय तक मिर्च में फल आना शुरू हो जाता है। 

वर्तमान में बाजार में मिर्च का भाव 2000 रुपये प्रति कुंटल और लहसुन 7000 रुपये प्रति कुंटल चल रहा है। देवा क्षेत्र के पींड गांव के किसान श्याम सुंदर वर्मा के अनुसार, इस तकनीक से मेहनत और लागत दोनों में कमी आती है। लहसुन की खुदाई के बाद मिर्च के पौधों के आसपास मिट्टी चढ़ाकर सिंचाई की जाती है। इससे मिर्च का उत्पादन और बेहतर होता है। यह पद्धति न केवल जमीन का कुशल उपयोग करती है, बल्कि किसानों को निरंतर आमदनी भी प्रदान करती है।

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