लखनऊ: डीएम कुशीनगर के निर्देश के बाद संविदा कर्मियों में आक्रोश, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र, न्याय की लगाई गुहार

लखनऊ: डीएम कुशीनगर के निर्देश के बाद संविदा कर्मियों में आक्रोश, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र, न्याय की लगाई गुहार

लखनऊ, अमृत विचार। कुशीनगर के डीएम ने 28 मार्च को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिला कार्यक्रम प्रबंधक और मातृ स्वास्थ्य कंसल्टेंट को लेकर सीएमओ को निर्देश दिए थे। निर्देश में कहा गया था कि जब तक संबंधित संविदा कर्मी दोषमुक्त नहीं हो जाते, तब तक उनकी पत्रावलियां स्वीकार न की जाएं। इसके बाद जब जिला कार्यक्रम प्रबंधक (DPM) ने अपनी सफाई देने के लिए जिलाधिकारी से मिलने का प्रयास किया, तो उन्हें बैठक से बाहर निकाल दिया गया और चेतावनी दी गई कि यदि वे दोबारा सामने आए तो उन्हें गिरफ्तार करा दिया जाएगा। जिसके बाद से स्वास्थ्य विभाग में एनएचएम के तहत तैनात संविदा कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है। संविदा कर्मियों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। यह पत्र प्रदेश के विभिन्न मंडलों पर मंडलायुक्त को संविदाकर्मियों ने सौंपा है।

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की मंडल संयोजक बिंदुमती ने बताया कि कुशीनगर प्रकरण संविदा कर्मियों के उत्पीड़न का एक गंभीर मामला है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में संविदा एएनएम/एसएन भर्ती (वित्तीय वर्ष 2021-22) से जुड़े एक मामले में प्रशासनिक अनियमितताओं और संविदा कर्मियों के मानसिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप सामने आया है। यह प्रकरण 2022 में घटित हुआ था, जिसमें पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से जिला कार्यक्रम प्रबंधक (DPM) और मातृ स्वास्थ्य कंसल्टेंट के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में मिशन निदेशक के आदेश पर जांच चल रही है, लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही इन संविदा कर्मियों के साथ अनुचित व्यवहार और मानसिक प्रताड़ना का मामला सामने आया है। कुशीनगर में 28 मार्च 2025 को आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी (DM) ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को निर्देश दिया कि जब तक संबंधित संविदा कर्मी दोषमुक्त नहीं हो जाते, तब तक उनकी पत्रावलियां स्वीकार न की जाएं। इस निर्णय से संबंधित कर्मियों के मानसिक तनाव और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है, जिससे अन्य संविदा कर्मियों में भी असंतोष व्याप्त हो गया है। इसके अलावा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया कि दोनों कर्मियों का वार्षिक अप्रेजल खराब करके भेजा जाए, जिससे उनके भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

संविदा कर्मियों के लिए बढ़ती चुनौतियां

उन्होंने कहा कि यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान जिलाधिकारी पूर्व में आजमगढ़ जिले में तैनात थे, जहां भी उनके कार्यकाल में संविदा कर्मियों के साथ अनुचित व्यवहार और शोषण की घटनाएं सामने आई थीं। संविदा कर्मियों के प्रति इस प्रकार का व्यवहार न केवल उनके अधिकारों का हनन करता है, बल्कि उनकी आजीविका और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। यह प्रकरण संविदा कर्मियों के कार्यस्थल पर सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल की कमी को दर्शाता है।

प्रदेश संगठन की कार्रवाई और सरकार से मांग

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि इस प्रकरण को लेकर प्रदेश संगठन ने 4 अप्रैल 2025 को प्रदेशभर में मंडलायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। प्रदेश महामंत्री योगेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि यदि प्रशासन ने संविदा कर्मियों के उत्पीड़न को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो संगठन आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। उन्होंने बताया कि आज लखनऊ में ज्ञापन देने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संदीप तिवारी, मंडल संयोजक बिंदुमती, जिला अध्यक्ष डॉ. अभयानंद, जिला महामंत्री संजय वर्मा समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।

मांग

- कुशीनगर प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

- प्रदेश के अन्य जिलों में भी संविदा कर्मियों के साथ हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं का संज्ञान लिया जाए।

- संविदा कर्मियों की सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाई जाए।

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