विधानसभा में फिर गूंजेगा बिकरू कांड; चार शहीदों के आश्रितों को अब तक नौकरी न मिलना बना मुद्दा, सरकार इस दिन देगी जवाब...
कैंट के सपा विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने सवाल उठाया

कानपुर, अमृत विचार। बिकरू कांड को लेकर समाजवादी पार्टी विधानसभा में राज्य सरकार को घेरने की तैयारी कर चुकी है। विकास दुबे से मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के आश्रितों को नौकरी के मामले को लेकर विधानसभा में कैंट के सपा विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने सवाल उठाया है। बकौल रूमी इसका जवाब सरकार 5 मार्च को देगी। बिकरू कांड की विधानसभा में गूंज की ओट में सपा पीडीए उत्पीड़न देख रही है।
विधायक रूमी का कहना है कि चार शहीदों को तो आश्रित कोटे में नौकरी सरकार ने दे दी है। बाकी चार की सुधि नहीं ले रही है। इन चारों शहीदों के आश्रित दर-दर भटकने को मजबूर हैं। उनका यह भी कहना है कि ये पीडीए के दायरे में आते हैं। उनका कहना है कि शहीद पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को पुलिस विभाग में ओएसडी के पद पर नौकरी मिल गई है।
शहीद बबलू कुमार के भाई उमेश को सिपाही के पद नौकरी मिली। शहीद अनूप की पत्नी नीतू और कॉन्स्टेबल राहुल की पत्नी दिव्या को भी नौकरी मिल गई। लेकिन एनकाउंटर में शहीद कान्स्टेबल सुल्तान सिंह, जितेंद्र पाल, दरोगा महेश यादव और कॉन्स्टेबल नेबू लाल के आश्रितों को अब तक नौकरी नहीं मिली है। इस विलम्ब के पीछे क्या कारण है, यह सरकार को सदन पटल पर बताना होगा।
रूमी के अनुसार उन्हें बताया गया है कि सरकारी महकमे ने इनके समक्ष नौकरी के लिए टेस्ट और फिजिकल पास करने की शर्त रख दी है। इसके चलते उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है। उनका कहना है कि जब सभी परीक्षाएं पास ही करनी थीं तो आश्रित कोटे से नौकरी मिलने का मतलब ही क्या है।
मालूम हो कि चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 को दबिश देने गई पुलिस पर गैंगस्टर विकास दुबे व गैंग ने हमला कर दिया था। इसमें तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार, बबलू कुमार शहीद हो गए थे।
दावा-इनके आश्रितों को नहीं मिली नौकरी
रूमी के अनुसार बिकरू कांड में झांसी के मऊरानीपुर निवासी सुलतान सिंह शहीद हुए थे। वर्ष 2021 में आवेदन करने वाली उनकी पत्नी उर्मिला सिंह को सीधी भरती का अवसर नहीं दिया गया। दौड़ में वह फेल हो गयी थीं। आश्रित होने के नाते सीधी नौकरी मिलनी चाहिए। शिवराजपुर थाने के दरोगा महेश यादव भी शहीद हो गए थे।
उनके बेटे विकास यादव ने एसआई के लिए आवेदन किया है पर अब तक मौका नहीं मिला। शहीद जितेंद्र के भाई ने भी आवेदन किया था। जितेंद्र को आश्रित होने का लाभ मिलना चाहिए था। उसने दोबारा आवेदन किया है। शहीद सबइन्सपेक्टर नेबूलाल के बेटे हिमांशु कुमार की शैक्षणिक योग्यता पूरी हो चुकी है। वह भी अभ्यर्थी बताया जाता है।
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