कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव में सरकार को राहत नहीं, अपील खारिज

नैनीताल, अमृत विचार: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में चल रहे कोऑपरेटिव सोसाइटियों के चुनाव के मामले में सरकार को राहत नहीं देते हुए गुरुवार को उत्तराखंड कोऑपरेटिव इलेक्शन ट्रिब्यूनल की अपील खारिज कर दी है। गत 20 फरवरी को एकलपीठ ने मांगेराम सिरोही एवं अन्य मामले में आदेश जारी कर प्रदेश सरकार को कोऑपरेटिव सोसाइटी नियमावली के नियम 12ख के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिये थे।
नियम 12ख में कहा गया है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी चुनाव में मतदान का हकदार सिर्फ वही सदस्य होगा जो तीन साल से सोसाइटी का सदस्य होगा और इस अवधि में उसके द्वारा एक बार लेन-देन किया गया हो। एकलपीठ के इस आदेश को ट्रिब्यूनल की ओर से अपील दायर कर खंडपीठ में चुनौती दी गयी। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में गुरुवार को अपील पर सुनवाई हुई। प्राधिकरण और प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इस बीच कई प्रतिनिधि निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। अदालत के आदेश से पूरी चुनावी प्रक्रिया प्रभावित होगी। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि नियम 12ख महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान नहीं देता है। सरकार की मंशा कोऑपरेटिव सोसाइटियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिलाना है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि केदारनाथ चुनाव के चलते सोसाइटी चुनाव की तिथि में संशोधन करना पड़ा। इसके विपरीत प्रतिवादी की ओर से कहा गया कि सरकार ने सोसाइटी चुनाव के लिये प्रक्रिया 12 सितम्बर, 2024 को शुरू कर दी थी। इस बीच सरकार की ओर से कई बार तिथियों में परिवर्तन करने के साथ ही चुनाव नियमावली में संशोधन कर दिया गया। चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमावली में संशोधन करना गलत है। अंत में अदालत ने विस्तृत आदेश पारित करते हुए ट्रिब्यूनल की अपील को खारिज कर दिया है। इससे साफ है कि एकलपीठ का आदेश अप