छुट्टी वाले दिन न काट ले जानवर, नहीं लगेगा रेबीज टीका
-सरकारी अस्पतालों के बेहुदा नियम से लोग परेशान -अवकाश के दिन मरीज को नहीं लगाया जा रहा रेबीज का पहला टीका
नरेन्द्र देव सिंह, हल्द्वानी
अमृत विचार: अगर किसी को छुट्टी वाले दिन कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य कोई अन्य जानवर काट लेता है तो उसे सरकारी अस्पताल में रेबीज टीका नहीं लगेगा। इस अजीबोगरीब नियम की वजह से पीड़ित लोग परेशान हैं और बाजार से खरीदकर रेबीज का महंगा टीका लगवाने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसा तब है जब अस्पताल में रेबीज के टीके पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं।
कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य किसी जानवर द्वारा काटे जाने या पंजा मारे जाने पर पीड़ित को रेबीज टीका लगवाना बेहद जरूरी होता है। रेबीज के जानलेवा संक्रमण के खतरे को देखते हुए इसे मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है। हल्द्वानी में सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में रेबीज का टीका निशुल्क लगाया जाता है।
प्रतिदिन अस्पताल में 40 से 50 लोग रेबीज का टीका लगाने के लिए आते हैं। बाजार में रेबीज का एक टीका 400 रुपये तक मिलता है। इधर अस्पताल में बनाए गए एक नियम की वजह से लोग परेशान भी हैं। छुट्टी वाले दिन या ओपीडी बंद होने के बाद रेबीज का टीका उसी मरीज को लगाया जाता है जिसको पहले से ही टीका लग रहा है। अगर किसी को पहला टीका लगवाना है तो उसे मना कर दिया जाता है। यह हाल तब हैं जब पीएमएस ने एक माह पूर्व इस मामले में आदेश जारी कर कहा था कि छुट्टी वाले दिन भी रेबीज का पहला टीका लगाया जाएगा। इसके बावजूद नये मरीजों को टीका लगाने से इंकार किया जा रहा है। मजबूरी में लोगों को बाहर से खरीदकर टीका लगवाना पड़ रहा है। ऐसा तब है जब अस्पताल के अंदर रेबीज टीका का पर्याप्त स्टॉक भी मौजूद है। पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि इस मामले पहले ही आदेश जारी कर दिया गया था, सोमवार को फार्मा विभाग में पता किया जाएगा।
केस नंबर-एक
रामणी जसुवा कठगरिया निवासी हरीश सिंह ने बताया कि उन्हें शनिवार रात आफिस से घर जाते समय एक कुत्ते को उन्हें काट लिया। रविवार को वह बेस अस्पताल पहुंचे तो इमरजेंसी में चिकित्सक ने उन्हें अवकाश बताकर रेबीज का टीका लगाने से मना कर दिया। सोमवार को वह दोबारा अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि ओपीडी बंद है। सोमवार को भी इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने सरकारी छुट्टी बनाकर रेबीज का पहला टीका लगाने से मना कर दिया जबकि टीका कक्ष में उन मरीजों को रेबीज के टीके लगाये जा रहे थे जिन्हें पहले से टीके लग रहे थे।
केस नंबर-दो
हल्दूचौड़ निवासी विकास कुमार ने बताया कि वह सोमवार को रैबीज का टीका लगाने के लिए बेस अस्पताल पहुंचा था। सोमवार को उसे एक बिल्ली ने काट लिया। अस्पताल पहुंचने पर कहा गया कि अब आप मंगलवार को आना। तब मजबूरी में मेडिकल स्टोर से खरीदकर टीका लगवाया।
टीका लगाने में टाइम लाइन बहुत जरूरी
हल्द्वानी। रेबीज एक जानलेवा संक्रमण है। अगर कोई जानवरी किसी को काट ले तो यह आवश्यक है कि 72 घंटे के अंदर उसे रेबीज का टीका लग जाए। रेबीज का टीका लगाने में ऐसा कहना कि आज छुट्टी है, कल या बाद में आना मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है क्योंकि रेबीज का अभी तक कोई इलाज नहीं है।