लखनऊः भ्रष्टाचार को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक, मंत्रियों पर हमलावर
दागी व भ्रष्ट अधिकारियों को मलाईदार पदों पर तैनात करने का लगाया आरोप
भास्कर दूबे, लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा सरकार में बैठे मंत्रियों और बड़े अधिकारियों पर इस बात का आरोप लगाया जा रहा है कि वह दागी और भ्रष्ट अधिकारियों को मलाई दार पदों पर तैनात कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति को लगातार चुनौती दे रहे है। गोरखपुर से भाजपा के विधान परिषद सदस्य देवेंद्र सिंह ने सरकार से पूछे गए एक सवाल में कहा कि भ्रष्ट चार्जशीटेड और बर्खास्तशुदा अधिकारियों को मलाई दार पदों पर क्यों नियुक्त किया गया है। पूरा प्रकरण औद्योगिक विकाश मंत्री नंद गोपाल नंदी के विभाग से संबंधित है। कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल के बाद नंदी पर उनके ही दल के विधायक ने आरोप लगाया है।
पूरा प्रकरण उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण से संबंधित है। जिसके विभागीय मंत्री नंदी है। देवेंद्र सिंह ने परिषद में प्रश्न के माध्यम से छह अधिकारियों के विषय में जानकारी मांगी जो भ्रष्ट है और उनके खिलाफ सतर्कता सहित विभागीय जांच प्रचलित है। इनमें से कुछ पर तो दोष भी साबित हो चुका है। एक अधिकारी ऐसी है जिन्हें विभाग से बर्खास्त कर दिया गया है। फिर भी वह क्षेत्रिय प्रबंधक गाजियाबाद जैसे महत्वपूर्ण और मलाई दार पद पर काबिज है। देवेंद्र सिंह द्वारा औद्योगिक मंत्री से प्रश्न पूछा गया था कि कितने अधिकारी और कर्मचारी पदों पर तैनात है, जिनके विरुध सतर्कता जांच प्रचलित है एवं कितनों के विरुद्ध आपराधिक मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज है तथा कितनों की पूर्व में बर्खास्तगी हो चुकी है।
प्रश्न के उत्तर में औद्योगिक मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बताया कि सीवी मौर्या जोकि सहायक प्रबंधक के पद पर है। उन्हें क्षेत्रिय प्रबंधक आगरा नियुक्त किया गया है। इनके विरुद्ध यूपीसीडा में वर्ष 2008-09 में सामान्य एवं बैकलॉग भर्तियों में अनियमित्ता का आरोप है। राज्य की सतर्कता समिति की 170वीं बैठक दिनांक 11/5/2022 में लिए गए निर्णय अनुसार, उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान द्वारा खुली जांच प्रचलित है। जांच रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।
इसी तरह विनोद कुमार प्रबंधक टेलीकॉम जोकि 13 अगस्त 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके है को क्षेत्रिय प्रबंधक कानपुर के पद पर तैनात किया गया है। विनोद कुमार द्वारा ऑनलाइन भू-आवंटन के संबंध में निर्गत कार्यालय आदेश संख्या 1281-20/एसआईडीए/आईए ऑफिस ऑडर दिनाकं 20/5/2019 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए प्रथम दृष्या उत्तरदायी पाए जाने पर शासन के कार्यालय ज्ञाप 3407/77/4/20/34 यूपीसीडा/20 द्वारा अनुशासनिक कार्यवाही की गई और आरोपित पर आरोप प्रमाणित पाए जाने पर शासन द्वारा परिनिंदा प्रविष्टि देते हुए संचयी प्रभाव के साथ वेतन वृद्धि स्थायी रूप से रोके जाने के साथ अवशेष एक वेतन वृद्धि जो आगामी वर्ष में रोके जाने का अवसर न होने पर उतनी धनराशि वेतन एवं अन्य भुगतानों से कटौती किए जाने का दंड देते हुए अनुशासनिक कार्यवाही हुई इसके अतिरिक्त निवेषकों के समक्ष परियोजनाओं के स्थापना के कार्य मं आ रहे विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए विनोद कुमार तत्कालीन क्षेत्रिय प्रबंधक आगरा द्वारा अपने पद का निर्वहन न किए जाने के दृष्टिगत शासन द्वारा अनुशासनिक कार्यवाही की गई और इनके विरुद्ध जारी अनुशासनिक कार्यवाही को बिना दंड के समाप्त कर सेवा में बहाल किया गया।
अजय दीप सिंह क्षेत्रिय प्रबंधक एवं परियोजना अधिकारी उन्नाव यूपीएसआईडीसी में वर्ष 2008-2009 में सामान्य एवं बैकलॉग भर्तियों में अनियमित्ता की सतर्कता जांच समिति में लिए गए निर्णय के अनुसार उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग द्वारा जांच जारी है। इसी तरह इनके विरुद्ध अद्योगिक क्षेत्र सिंकदराबाद स्थित भूखंडों से संबंधित प्रकरण में गंभीर अनियमित्ताओं के लिए प्रथम दृष्या उत्तरदायी पाए जाने के फलस्वरूप शासन द्वारा इन्हें निलंबित किया गया और आदेश के विरुध ये उच्चतम न्यायालय से स्थगनादेश पर है। इनके विरुध विभागीय जांच जारी है।
प्रदीप कुमार सत्यार्थी क्षेत्रिय प्रबंधक, प्रयागराज यूपीएसआईडीसी में 2008-09 में सामान्य एवं बैकलॉग भर्ती में अनियमित्ता की राज्य सतर्कता समिति के निर्णय के अनुसार, उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान से खुली सतर्कता जांच जारी है। इसी क्रम में शर्मीला पटेल परियोजना अधिकारी गाजियाबाद को यूपीएसआईडीसी के आदेश द्वारा सेवा से बर्खास्त किया गया। जिसके विरुध उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में पारित आदेश के अनुपालन में उनकी बर्खास्तगी का आदेश निरस्त कर दिया गया और शर्मीला पटेल को 2015 में विभाग द्वारा बहाल किया गया। यूपीसीडा के स्तर पर पटेल के विरुद्ध कार्यवाही जारी है। देवेंद्र सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्न कि क्या उपरोक्त अधिकारियों का स्थानांतरण निरस्त करने पर अद्योगिक मंत्री विचार करेंगे, के उत्तर में लिखित जवाब दिया गया है कि ऐसा करने का प्रश्न ही नहीं उठता।