लखनऊः किस नियम से पानी पर टैक्स ले रहा जलकल विभाग, व्यापारी नेताओं ने उठाए सवाल
लखनऊ, अमृत विचार: देश में जल पर कोई कर नहीं है। जलकल विभाग किस नियम से जल कर ले रहा है। 1975 में आपातकाल के समय बने जल पर कर (टैक्स) का अब कोई औचित्य नहीं है। ये सवाल गुरुवार को जलकल विभाग के सचिव के साथ हुई बैठक में अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल एवं उत्तर प्रदेश युवा उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने उठाए।
जलकल महाप्रबंधक कार्यालय सभागार में सचिव शशि कुमार गुप्ता के साथ व्यापारी नेताओं ने चर्चा की। इसमें व्यापारियों ने पानी के बिलों की कॉपी दिखाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल ने कहा कि व्यापारी की दुकान पर अगर कनेक्शन नहीं है तो पानी का बिल देने की आवश्यकता नहीं है। सचिव ने कहा कि, उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 के तहत यह व्यवस्था यूपी जल आपूर्ति एवं सीवरेज अधिनियम में दी गई है। इस पर इस अधिनियम का लिखित आदेश उपलब्ध कराइए, जिससे इस संदर्भ को प्रदेश सरकार तक ले जाकर लोगों को जल कर से मुक्ति दिलाई जा सके।बैठक में मुख्य वित्त अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह, व्यापारी नेता सुरेश छाबलानी, जावेद बेग, आकाश गौतम, अश्वन वर्मा, रमेश सिंह, राजीव कक्कड़, अनुज गौतम, दीपेश गुप्ता, नितिन श्याम अग्रवाल, सनत गुप्ता, पतंजलि यादव, संजय निधि अग्रवाल, अनुराग बंसल, मनोज श्रीवास्तव समेत कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलेगी जल व सीवर कर से छूट
जलकल विभाग की तरह नगर निगम के कर्मचारियों को भी जल व सीवर कर से छूट दी जाएगी। इसका फायदा निगम के नियमित एवं सेवानिवृत्त लगभग 5,000 कर्मचारियों को मिलेगा। उप्र नगर निगम कर्मचारी संघ लगातार इसकी मांग कर रहा था। नगर निगम कार्यकारिणी और सदन से प्रस्ताव पास होने के बाद भी जलकल के साॅफ्टवेयर में बदलाव न हो पाने से लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा था। संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने बताया कि साॅफ्टवेयर में बदलाव हो गया है। छूट का फायदा लेने के लिए कर्मचारियों को अपने जोन के जलकल कार्यालय में निर्धारित प्रारूप पर फार्म भरकर जमा करना होगा। उसके साथ भवन की आईडी एवं हाउस टैक्स की रसीद लगानी होगी। अध्यक्ष ने छूट का लाभ देने के लिए महापौर, नगर आयुक्त और जलकल महाप्रबंधक का आभार व्यक्त किया है।
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