जनता ने फ्लैट ठुकराए तो पेड़ बिछाकर रास्ते किए बंद: कानपुर में केडीए की जवाहरपुरम योजना में बने फ्लैट्स की हालत बदतर

एक भी फ्लैट में नहीं रहते लोग, खिड़की, दरवाजे चोरी का डर

जनता ने फ्लैट ठुकराए तो पेड़ बिछाकर रास्ते किए बंद: कानपुर में केडीए की जवाहरपुरम योजना में बने फ्लैट्स की हालत बदतर

कानपुर, अमृत विचार। केडीए की ओर से शताब्दी नगर में बनाई गये अफोर्डेबल हाउस एकता इन्क्लेव जवाहरपुरम सेक्टर 13 की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां बहुमंजिला इमारतों को बनाने में केडीए ने करोड़ों फूंक दिये लेकिन आज तक एक भी फ्लैट में रहने लोग नहीं पहुंचे। 

शताब्दी नगर में मुख्य सड़क के दोनों ओर बने भवनों में पेड़ और झाड़ियां उग आई हैं। कई फ्लैट्स में प्लास्टर, खिड़कियां टूट गई हैं। शाम होते ही अराजक तत्वों का जमघट लगता है। कई फ्लैट्स में दरवाजों और खिड़कियों की चोरी होती है। इसको देखते हुये केडीए ने भवनों के चारों ओर रास्तों पर पेड़ बिछाकर आना-जाना बंद कर दिया है।  

अफोर्डेबल हाउस एकता इन्क्लेव जवाहरपुरम सेक्टर 13 में 2 बीएचके फ्लैट बनाए गये। यह एमआईजी श्रेणी के हैं। इस योजना में 1660 फ्लैट बनाए गये। केडीए के ही आंकड़ों के अनुसार 1653 फ्लैट आज की तारीख में ऐसे हैं जिनको आवंटी मिले ही नहीं, और जो 7 फ्लैट एलॉट हुये वह भी लोगों ने लिए नहीं है। इसकी वजह से पूरी योजना में सन्नाटा पसरा रहता है। वर्षों से योजना को आवंटी नहीं मिलने की वजह से वर्तमान में भूखंड खंडहर हो रहे हैं। 

Kanpur Panki Flat 11

भवनों के आस-पास जंगल जैसा हो गया है। मुख्य सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं। यहां पर तैनात एक गार्ड ने बताया कि शाम होते ही यहां पर घुप अंधेरा होता है। राहगीर तक निकलने में डरते हैं। कई आराजक तत्व यहां पर चोरी के इरादे से घुसने की कोशिश करते हैं। 

कई बार तो लोग बाउंड्री फांदकर कूद गये और खिड़की दरवाजे तक चोकी करने की कोशिश की। समस्या बढ़ी तो योजना में बने भवनों को चारों ओर से बंद कर दिया गया है। यहां अब सड़कों को पेड़ व अन्य चीजों के जरिये बंद करना पड़ा है।

प्रगति इन्क्लेव की भी हालत खराब

जवाहरपुरम योजना सेक्टर 6 में बने प्रगति इन्क्लेव की हालत भी खराब है। यहां 360, 2-बीएचके फ्लैट का निर्माण किया गया था। जिसमें से 271 फ्लैट का आवंटन आज तक नहीं हो सका है। गिने-चुने जो कुछ फ्लैट एलॉट भी हुये यहां मौके पर सन्नाटा देखने के बाद रहने नहीं आई है। दिन पर दिन भवनों की हालत खराब हो रही है। फ्लैट में दरारे आ रही हैं। कई जगह काई लग चुकी है। जिसको खरीदार देखकर ही वापस लौट जा रहे हैं।

तो क्या गिरानी पड़ेंगी इमारतें

2016 से बने फ्लैट आवंटियों की राह ताक रहे हैं। पर आज तक यहां रहने कोई नहीं आया है। खरीदार भवनों को लेने के इच्छुक नहीं हैं। केडीए कीमतों को फ्रीज कर फ्लैट्स को बचने की नाकाम कोशिशें कर रहा है। लेकिन इसके बाद भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में अब यहां के आस-पास के दूसरी योजनाओं में रहने वाले लोग कहने लगे हैं कि यह इमारतें केडीए को आज नहीं तो कल धराशायी करानी पड़ेगी और इसकी जगह प्लॉट की योजना लानी होगी, तभी लोगों का झुकाव इस तरफ होगा।

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