चीन-पाकिस्तान गठजोड़
भारत के लिए हिंद महासागर में लगातार चुनौती बढ़ रही है। पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन अपने अपने हित साधने के लिए गठजोड़ कर रहे हैं। चीन पाकिस्तान को नई पनडुब्बियां सप्लाई कर रहा है। युद्धपोतों के निर्माण में मदद कर रहा है। पाकिस्तान के नौसैनिक आधुनिकीकरण पर चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय है। क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति, भारत के प्रभुत्व के लिए चुनौती है। चीनी सहायता के माध्यम से पाकिस्तान की नौसेना को मजबूत करने से क्षेत्रीय समुद्री संतुलन बदल सकता है और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) और व्यापक रणनीतिक संबंधों के माध्यम से, बीजिंग इस्लामाबाद के लिए नौसेना प्रौद्योगिकी, हथियार प्रणालियों और वित्तीय सहायता का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन गया है। पाकिस्तान के नौसैनिक विस्तार के लिए चीन का समर्थन हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की उसकी व्यापक रणनीति के अनुरूप है। सोमवार को नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भारत पाकिस्तान की नौसेना की हैरान कर देने वाली मजबूती से अवगत है। परंतु भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की तटरेखा 1,046 किलोमीटर लंबी है, जबकि भारत की तटरेखा 7,516 किलोमीटर तक फैली है, जो इसे लगभग सात गुना बड़ा बनाती है। जिसका अर्थ है कि देश को पाकिस्तान की तुलना में बड़ी और अधिक शक्तिशाली नौसेना की आवश्यकता है। विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाए रखने के लिए, भारत को विमानवाहक पोतों और युद्धपोतों की आवश्यकता है।
हालांकि भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताएं पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक उन्नत हैं। भारत ने आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारतीय नौसेना इस अभियान में सबसे आगे रही है, जिसके युद्धपोतों, पनडुब्बियों और सहायक जहाजों का एक बड़ा हिस्सा घरेलू स्तर पर निर्मित किया जा रहा है। साथ ही भारत नौसेना के लिए खास तौर पर बनाए गए राफेल के 26 जेट विमान और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की प्रस्तावित खरीद के अनुबंध को जल्द ही अंतिम रूप देने वाला है।
दक्षिण एशिया में नौसेना की शक्ति का विकास भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। जिसमें चीन की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। यह गतिशीलता हिंद महासागर के रणनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे रही है, जिसका क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ रहा है। महत्वूपूर्ण है कि दक्षिण चीन सागर में भारत अपने हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है।