Kanpur: पहले गर्भधारण में बीपी की दिक्कत से बच्चे को खतरा, डॉक्टरों ने क्या कहा? यहां पढ़ें...

Kanpur: पहले गर्भधारण में बीपी की दिक्कत से बच्चे को खतरा, डॉक्टरों ने क्या कहा? यहां पढ़ें...

कानपुर, अमृत विचार। मां बनना हर महिला का सपना होता है, लेकिन इस सपने पर कभी-कभी ब्लड प्रेशर की वजह से ग्रहण लग जाता है, जिसकी वजह से उन्हें अधिक समस्या होती है। कुछ मामलों में तो मां की मौत तक हो जाती है और बच्चे की जान पर भी बन आती है। 

विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा ज्यादातर पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के साथ होता है। इसकी वजह, बच्चे पर असर और रोकथाम के बारे में जीएसवीएम की डॉक्टर ने एक शोध किया है, जिसके चौकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसुति रोग विभाग की सह आचार्य डॉ.प्रतिमा वर्मा ने बताया कि जो महिलाएं पहली बार गर्भवती होती है, उनमे से 20 प्रतिशत महिलाओं में ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्या होती है, जिसका असर बच्चे पर भी पड़ता है। इस बीमारी के कारण भारत में 15 प्रतिशत लोगों की हर साल मौत हो जाती है। 

दो साल में 211 महिलाओं पर शोध किया, पता चला कि पहले बच्चे के दौरान जो महिलाएं अधिक तनाव लेतीं है, उनके शरीर में एड्रेनलाइन और कोर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज होते है। 

इसके बाद शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोजेस्टेरोन नहीं बन पाता है और तब महिला को प्रजन्न संबंधित समस्याएं होती है। बच्चों में भी दिक्कत होने की संभावना 60 फीसदी तक बढ़ जाती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि प्रीक्लैंप्सिया के मरीजों को समय से पहले प्रसव तक करना पड़ता है। वहीं, बच्चे प्री-मैच्योर भी हो सकते हैं। 

प्रीक्लैंप्सिया पहले बच्चे के गर्भकाल के दौरान ज्यादा होता है। इसमें ब्लड प्रेशर हाई रहता है। इसलिए गर्भावास्था के दौरान महिलाओं को तनाव से दूर रहने को बोला जाता है। 

दरअसल, इसकी वजह से प्रीक्लैंप्सिया में हाई ब्लड प्रेशर के साथ ही पेशाब में प्रोटीन आना व पैरों में सूजन तक की भी समस्या होती है। वहीं, जब स्थिति गंभीर होती है तो उसे एक्लेम्पसिया कहा जाता है। हालांकि प्रीक्लैंप्सिया को गर्भ के तीसरे माह में पता किया जा सकता है। वहीं, पहले बच्चे के दौरान 100 में 78 मरीजों में जेस्टोसिस स्कोर अधिक पाया गया।

जेस्टोसिस स्कोर के आधार पर हुआ आकलन 

सह आचार्य डॉ.प्रतिमा वर्मा ने बताया कि जेस्टोसिस स्कोर के आधार पर गर्भवती महिलाओं की गंभीरता का आकलन किया गया। अगर जेस्टोसिस स्कोर तीन या उससे अधिक होता है, तो गर्भवती गंभीर की श्रेणी में होती है। ऐसा स्वास्थ्य की देखभाल न करने की वजह से होता है। 

ऐसे में गर्भावास्था के दौरान महिलाओं को किसी भी बात पर तनाव नहीं लेना चाहिए। वहीं, कई बार पहली बार गर्भवती हुई महिला प्रसव के नाम भी डर जाती हैं, जिसकी वजह से भी समस्या होती है। हालांकि डॉक्टरों की टीम द्वारा गर्भवतियों को काफी मोटिवेट किया जाता है।

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