रुद्रपुर: डीएनए अनुभाग हुआ स्थापित, जल्द होगी डीएनए की जांच

रुद्रपुर: डीएनए अनुभाग हुआ स्थापित, जल्द होगी डीएनए की जांच

रुद्रपुर, अमृत विचार। संगीन अपराधों में खुलासे में होने वाली देरी अब कुछ ही घंटों में वारदातों का पर्दाफाश करेगी। कारण देहरादून के बाद कुमाऊं मंडल स्तरीय डीएनए सैंपल की जांच अब रुद्रपुर के फॉरेंसिक साइंस लैब में शुरू होने वाली है। जो कुमाऊं मंडल का डीएनए अनुभाग होगा। जिसका उद्घाटन के प्रदेश के सीएम जल्द कर सकते हैं।

बताते चलें कि कुमाऊं मंडल में होने वाले संगीन वारदातों में मिले डीएनए सैंपल की जांच देहरादून होती है। अत्यधिक दबाव होने के कारण अक्सर जांच रिपोर्ट में लेटलतीफी होती थी। जिस कारण पुलिस को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब फॉरेंसिक साइंस लैब में पांच करोड़ की लागत से डीएनए जांच अनुभाग की स्थापना हो चुकी है। अब कुमाऊं मंडल स्तर पर होने वाले आपराधिक वारदातों में डीएनए जांच का कार्य करेगी जो कुमाऊं के लिए बड़ी उपलब्धि है। स्थापना अनुभाग में बायोलॉजी डिवीजन व सीरोलॉजी डिवीजन भी बना हुआ है।

डीएनए अनुभाग में हत्या, बलात्कार, अज्ञात शव की पहचान और वंशानुगत आपराधिक मामलों की गुत्थी सुलझाने में अनुभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा बायो व सिरो अनुभागों में खून की जांच, सीमन की जांच, ब्लड ग्रुप और अन्य बॉडी फ्लूड की भी जांच होगी। स्थापित तीनों अनुभाग घटनास्थल से जुटाए गए साक्ष्यों की जांच करेगी। पहले तीनों प्रकार की जांच के लिए सैंपल देहरादून भेजे जाते थे। जहां डीएनए अनुभाग में अत्यधिक दबाव होने के कारण यह जांच रिपोर्ट आने में काफी समय लगता था, लेकिन रुद्रपुर में डीएनए अनुभाग की स्थापना के बाद अब पीड़ितों को जल्द इंसाफ मिलने की उम्मीद जगी है।

सांसद-विधायक ने की पैरवी

आपराधिक वारदातों की रोकथाम में जहां पुलिस की मैनुअल मेहनत अपराधियों को सलाखों की पीछे धकेलती है। वहीं पुख्ता सबूत अपराधियों को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि पिछले लंबे समय से फॉरेंसिक साइंस लैब में डीएनए अनुभाग स्थापित किए जाने का मुद्दा लैब के संयुक्त निदेशक डॉ. दयाल शरण शर्मा उठा रहे थे। जिसका संज्ञान लेते हुए सांसद अजय भट्ट व विधायक शिव अरोरा ने लिया और पैरवी करते हुए अनुभाग के लिए बजट के साथ अनुमति दिलाई।

फॉरेंसिक साइंस विवि की है अब आवश्यकता

फॉरेंसिक साइंस लैब में डीएनए अनुभाग के स्थापित होने के बाद अब जिले में नेशनल फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय की भी आवश्यकता है। जिसका सभी व्यय केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यदि जिले में विवि कैंपस स्थापित होता है तो बीएससी, एमएससी व पीएचडी फॉरेंसिक व क्रिमिनोलॉजी विषय से अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों प्रशिक्षण दिया जा सकता है। जो कि वास्तव में आपराधिक वारदातों की रोकथाम में मील का पत्थर साबित होगी।

स्टाफ नियुक्त, पीसीआर से होगी जांच

फॉरेंसिक साइंस लैब में स्थापित डीएनए अनुभाग के बेहतर संचालन के लिए छह फॉरेंसिक टीम की गठित कर दी गई है। वहीं डीएनए जांच मशीन पीसीआर भी स्थापित हो चुकी है। जब अनुभाग का उद्घाटन होगा। इसके बाद पुलिस द्वारा एकत्र साक्ष्य या फिर फॉरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल का मौका मुआयना किया जाएगा। गठित टीम ही डीएनए से संबंधित सैंपल की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी। ताकि जल्द ही डीएनए संबंधी रिपोर्ट विवेचना अधिकारी को मुहैया हो सके।

फॉरेंसिक साइंस लैब रुद्रपुर में डीएनए, सिरोलॉजी एवं बायोलॉजी अनुभाग स्थापित हो चुका है। उम्मीद है कि जल्द ही प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी अनुभाग का उद्घाटन कर सकते हैं। पांच करोड़ की लागत से निर्मित अनुभाग कुमाऊं स्तरीय आपराधिक मामलों की जांच करेगी। जिसके बेहतर संचालन के लिए स्टाफ की तैनाती भी हो चुकी है। डीएनए अनुभाग का इंतजार पिछले कई वर्षों से था। जिसको प्रदेश के सीएम द्वारा हरी झंडी दी गई।

-डॉ. दयाल शरण शर्मा, संयुक्त निदेशक फॉरेंसिक

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