रामनगर: 15 नवंबर को खुलेगा कार्बेट का 'हृदय' ढिकाला जोन

रामनगर: 15 नवंबर को खुलेगा कार्बेट का 'हृदय' ढिकाला जोन

रामनगर, अमृत विचार। 15 नवम्बर को विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क का ढिकाला पर्यटन जोन खुलने जा रहा है। खुले आसमान के नीचे अकूत वन सम्पदा, सुरम्य वादियों और पर्यावरण संरक्षण की बात हो तो कार्बेट नेशनल पार्क का नाम आना स्वभाविक है और कार्बेट पार्क का हृदय ढिकाला को माना जाता है। इसी प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से लाखों पर्यटक यहां आते रहते हैं। 

कार्बेट पार्क में पर्यटकों के लिए निर्धारित किए गए सभी पर्यटन जोन अपने में खास हैं लेकिन जब रात्रि विश्राम के लिए कक्ष आरक्षित किए जाने की बात आती है तो सबकी पहली पसंद ढिकाला ही होती है। इसके किनारे पर इठलाती रामगंगा नदी हो या फिर सूर्यास्त का नजारा हो, सब कुछ दिल को छू लेता है। इसके अलावा रंग बिरंगे पक्षियों का कोलाहल, ग्रास लैंड में विचरण करता गजराजों का झुंड, दूर हवा को सिरहन पैदा कर आती बाघों की दहाड़ या फिर कुलांचे भरते हिरनों के झुंड हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ढिकाला के प्राकृतिक सौंदर्य से प्रभावित होकर लौटे थे। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार की माने तो ढिकाला ऐसा क्षेत्र है जो जैव विविधता के सभी मानकों की कसौटी पर खरा उतरता है। यहां पर्यटकों के पास सबकुछ होता है। चाहे वह प्रकृति प्रेमी, फोटोग्राफर, शोध छात्र या फिर वन्य जीव विशेषज्ञ हो। सभी को ढिकाला आकर्षित करता है। यूं भी कह सकते हैं कि देश के सभी नेशनल पार्कों में सबसे सुंदर ढिकाला है। यहां छह सौ प्रजातियों के पक्षियों का कोलाहल है। 

156 साल पहले संभाला था सुरक्षा का जिम्मा
रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण के रूप में भले ही पार्क साल 1936 में स्थापित किया गया हो मगर वन विभाग ने 156 साल पहले इस जंगल की सुरक्षा का जिम्मा अपने कंधों पर लिया था। इतिहास में देखें तो पता चलता है कि साल 1800 तक यह क्षेत्र टिहरी नरेश के अधीन था। गोरखाओं के आक्रमण के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने टिहरी नरेश को मदद दी थी, जिसके बदले टिहरी नरेश ने यह क्षेत्र अंग्रेजो को सौंप दिया।

साल 1868 में पहली बार इस क्षेत्र के संरक्षण का जिम्मा वन विभाग को सौंपा गया। साल 1879 में यह क्षेत्र आरक्षित वन क्षेत्र घोषित हो गया। साल 1934 में तत्कालीन गवर्नर सर विलियम हैली ने इस क्षेत्र में वन्यजीवों के संरक्षण की वकालत की थी। तब जिम एडवर्ड कार्बेट ने  इसकी सीमाओं का निर्धारण किया। 8 अगस्त 1936 को यह हैली नेशनल पार्क के रूप भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान घोषित हुआ और बाद में वन्य जीव प्रेमी जिम एडवर्ड कार्बेट के देहांत के बाद इसका नाम कार्बेट नेशनल पार्क रखा गया।

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