दो बार चित्रकूट आए थे प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, निधन की खबर से जिले में शोक की लहर

चित्रकूट, अमृत विचार। टाटा समूह के अध्यक्ष रहे प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के निधन से जिले में भी शोक की लहर है। रतन टाटा दो बार चित्रकूट भी आए थे। उन्होंने बातचीत में यह बात साबित की थी कि कैसे उन्होंने टाटा समूह का विस्तार किया और क्यों वह उद्योगों की समझ वाले उद्योगपति के साथ साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता का व्यक्तित्व भी हैं।
13 जनवरी 1996 में उद्योगपति रतन टाटा का तीर्थक्षेत्र तब आगमन हुआ था, जब यहां जेआरडी टाटा आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरोग्य धाम) का शिलान्यास किया जाना था। श्रृंगार वन में एक साथ पांच हेलीकाप्टर उतरे तो लोग चकित रह गए थे। हेलीकाप्टरों को देखने की ही भीड़ लग गई थी। इसमें रतन टाटा के साथ मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, उद्योगपति, महेंद्र महेंद्रा, बांबे डाइंग के नुस्ली वाडिया इसमें आए थे। तब रतन टाटा ने राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के साथ देरतक बातचीत की थी। नानाजी ने उनको विभिन्न प्रकल्पों के बारे में बताया और भ्रमण कराया था। रतन टाटा नानाजी के प्रकल्पों को देखकर आश्चर्यचकित थे और जमकर बड़ाई की थी।
उनके व्यवहार से ऐसा नहीं लग रहा था कि वह इतने बड़े उद्योग समूह के मालिक हैं। दूसरी बार वह 15 अप्रैल 2002 को स्वावलंबन अभियान के लोकार्पण के अवसर पर लोढ़वारा आए थे। जब रतन टाटा के निधन की खबर चित्रकूट पहुंची तो लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्पों में शोकसभाओं का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान परिवार ने अपना एक अभिभावक खो दिया है। रतन टाटा सदैव भारत के अनमोल रत्न के रूप में भारतीय क्षितिज पर चमकते रहेंगे।
कोषाध्यक्ष वसंत पंडित ने बताया कि रतन टाटा ने अपने दादाजी जेआरडी टाटा की स्मृति में एक यादगार सेवा प्रकल्प खड़ा किया जिसे आज आरोग्यधाम के नाम से जानते हैं। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर ग्रामोदय परिवार ने दो मिनट का प्रतीकात्मक मौन धारण कर सामूहिक प्रार्थना की कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
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