Ganesh Chaturthi 2024: आज घरों और पंडालों में विराजेंगे विघ्नहर्ता, गूजेंगे जयकारे...ये है शुभ मुहूर्त

सुबह 10.51 से दोपहर 1.21 बजे तक स्थापना का शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi 2024: आज घरों और पंडालों में विराजेंगे विघ्नहर्ता, गूजेंगे जयकारे...ये है शुभ मुहूर्त

कानपुर, अमृत विचार। गणेश महोत्सव की तैयारियां शुक्रवार को शहर में जोरों पर रही। शनिवार से धूमधाम से महोत्सव मनाने के लिए इस बार पंडालों की संख्या भी ज्यादा है। शनिवार को शुभ मूहुर्त में पूजन के बाद विघ्नहर्ता पंडालों में विराजमान होंगे। 

शहर में महल व महाराजा की तर्ज पर बने बड़े पंडालों के लिए लोगों ने 15 फीट तक की मूर्तियां पंसद की हैं, वहीं घरों के लिए मिट्टी के बाल गणेश खूब भाए। शुक्रवार को मूर्तियां महोत्सव कमेटी के लोग गाजे-बाजे के साथ प्रतिमाएं लेकर रवाना हुए। 

महोत्सव कमेटी के सदस्यों की मांग पर अलग-अलग गणेश परिवार तैयार किए गए हैं। शुक्रवार साकेतनगर, बर्रा, गोल चौराहा से मूर्तियां लेकर कमेटी के सदस्य आतिशबाजी करते हुए पंडालों के लिए रवाना हुए। 

शहर में महलों की तर्ज पर बड़े-बड़े पंडाल सजाए जा रहे हैं। छोटे-छोटे गणपति भी लोगों ने घरों के लिए खूब पसंद किये। शहर में सिविल लाइन, खलासी लाइन, ग्वालटोली, नवाबगंज, विकासनगर, गोविंदनगर, किदईनगर, रतनलालनगर में भव्य पंडालों में विघ्नहर्ता विराजमान होंगे।  

भव्य होगा महाराष्ट्र मंडल का 101 वां महोत्सव 

खलासी लाइन स्थित महाराष्ट्र मंडल इस बार अपना 101 सार्वजनिक श्री गणेशोत्सव मना रहा है। कमेटी के शाला मंत्री सुभाष देव ने बताया कि इस बार गणेश मूर्ति ग्वालियर से आई है। महोत्सव के कार्यक्रम पक्के हॉल में होंगे। वहीं मूति विराजमान होगी। लगातार दस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। महिलाओं व बच्चों के अलग-अलग कार्यक्रम हैं। फूलों की सजावट ज्यादा कराई गई है। 

शुभ संयोग में विराजेंगे गणपति 

इस बार गणेश महोत्सव पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। शनिवार को सुबह 10.51 से दोपहर 1.21 बजे तक विघ्नहर्ता की स्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। मुहूर्त की यह अवधि 2.30 घंटे है। चित्रा व स्वाति नक्षत्र के युग्म संयोग और ब्रह्म योग में गणपति का पूजन होगा। 17 सितंबर को अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी को शतभिषा नक्षत्र का संयोग है। वास्तु शास्त्र के अनुसार गणेश की मूर्ति को घर के ईशान कोण, उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। स्थान उपलब्ध न हो तो मूर्ति को पूर्व, पश्चिम या उत्तर दिशा में भी स्थापित कर सकते हैं।

मूर्ति स्थापना में रखें ध्यान

- गणपति की बैठी मुद्रा और बाईं ओर झुकी सूंड़ वाली मूर्ति को ज्यादा शुभ माना जाता है। 
- मूर्ति लाते समय ध्यान रखें कि साथ में मूषक जरूर हो और उनके हाथ में मोदक भी हो। 
- गणेश की सिंदूर के रंग की प्रतिमा घर में लाना उत्तम माना जाता है। 
- विघ्नहर्ता को मोदक का भोग, दूर्वा और घी बेहद प्रिय है।

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