मथुरा: मुड़िया पूनो मेला...हाथरस हादसे के बाद व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने को प्रशासन ने कसी कमर

मथुरा: मुड़िया पूनो मेला...हाथरस हादसे के बाद व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने को प्रशासन ने कसी कमर

मथुरा। हाथरस की घटना से सबक लेते हुए मथुरा जिला प्रशासन ने 15 जुलाई से गोवर्धन में शुरू हो रहे मुड़िया पूनो मेले को कुशलतापूर्वक सम्पन्न कराने के लिए कमर कस ली है। 22 जुलाई तक चलने वाले इस मेले की व्यवस्थाएं भी पिछले वर्षों से बेहतर की गई हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिनी कुंभ की व्यवस्थाओं को बेहतर सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी को भी मथुरा भेजा था जिससे वे व्यवस्थाओं में किसी प्रकार की कमी होने पर जिला प्रशासन को उनको ठीक करने के लिए कहें।

आगरा मंडल की आयुक्त रितु माहेश्वरी ने जिले के अधिकारियों के साथ स्वयं इन व्यवस्थाओं को देखा और जहां पर उन्हें कमी मिली उसे ठीक करने के आदेश दिए। इस मेले में सवा करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है। वहीं मेले में दण्डौती परिक्रमा पर रोक लगा दी गई है। बता दें, मुड़िया पूनो मेले की शुरूवात ब्रज के महान संत सनातन गोस्वामी की स्मृति में किया जाता है। 

दानघाटी मन्दिर के सेवायत मथुरा प्रसाद कौशिक ने बताया कि सनातन गोस्वामी रोज वृन्दावन से गोवर्धन पैदल आते थे और गिर्राज की परिक्रमा करके वापस चले जाते थे। बहुत वृद्ध होने पर जब वे एक बार परिक्रमा करने के दौरान थककर बैठे गए तो भगवान श्रीकृष्ण बालक के रूप में आए और उन्होंने उनसे परिक्रमा न करने की सलाह दी। यह सुनकर सनातन के अश्रुधारा बह निकली तो चतुर्भुज रूप में भागवान कृष्ण प्रकट हुए।

उन्होंने पास से एक शिला उठा ली और उस पर अपने चरणकमल रख दिये तो शिला मोम की तरह पिघल गई। इसके बाद उन्होंने बंशी बजाकर सुरभि गाय को बुलाया और उसका खुर शिला पर रखवाया। इसके बाद उसी शिला पर उन्होंने अपनी वंशी और लकुटी रख दी तो उसके भी चिन्ह बन गए।

उन्होंने सनातन गोस्वामी से कहा कि वे जहां रहते हों इस शिला को रख लें और इसकी चार परिक्रमा करेंगे तो गोवर्धन की एक परिक्रमा हो जाएगी। यह शिला आज भी राधा दामोदर मन्दिर वृन्दावन में रखी है और वृन्दावनवासियों में इसकी परिक्रमा करने की होड़ तड़के तीन बजे से ही लग जाती है। 468 वर्ष पूर्व सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन के बाद उनके शिष्यों ने सिर मुड़ाकर गोवर्धन की परिक्रमा शुरू की थी जो आज भी जारी है। 

वहीं व्यवस्थाओं के बारे में जिलाधिकारी ने बताया कि इस बार मेले में अच्छी हालत की एक हजार बसें लगाई गई हैं और 100 बसें रिजर्व में रहेंगी। तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त बसें लगाई जाएंगी। पूरे मेला क्षेत्र को 21 जोन एवं 62 सेक्टर में बांटा गया है। जोन की जिम्मेदारी सीनियर अधिकारियों और सेक्टर की जिम्मेदारी कनिष्ठ अधिकारियों को दी गई है। अपर जिलाधिकारी विजय शंकर दुबे को मेला अधिकारी बनाया गया है।

मेले की व्यवस्था देखने के लिए 3700 अधिकारी/ कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। मेले में अनवरत बिजली की आपूर्ति करने की व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि मेले को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए 105 बैरियर, 70 पार्किंग, 31 वॉच टॉवर, पांच स्थाई पुलिस चैकी, 37 अस्थाई पुलिस चौकी, 52 पुलिस मोबाइल, 06 खोया-पाया केन्द्र बनाकर 12 दमकल की गाड़ियां लगाई गई हैं। इसके अलावा 3 कम्पनी पीएसी, एक कम्पनी एसडीआरएफ और फ्लड टीम की व्यवस्था की गई है। जबकि महत्वपूर्ण चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस और 6 रिकवरी वैन भी रहेंगे। 

वहीं पुरानी तहसील गोवर्धन पर 4 बेड का अस्थाई अस्पताल बनाया गया है। मेले में चिकित्सकों की ड्यूटी चैबीसो घंटे रहेगी। इसके अलावा पुलिस चौकियों पर कुल 21 एम्बुलेन्स की व्यवस्था भी की जाएगी। मेले में सफाई को सुनिश्चित करने के लिए 841 सफाई कर्मचारी 56 सफाई सुपरवाइजर की तैनाती की गई है। मेला क्षेत्र में 25 मोबाइल ट्वायलेट भी लगाए जाएंगे। परिक्रमा मार्ग पर स्थित हैंड पम्पों को ठीक करा दिया गया है।

मानसी गंगा में सीधे नहाने पर रोक लगा दी गई है, किंतु तीर्थयात्रियों के नहाने के लिए फव्वारे लगाए गए हैं। डूबने की घटना को रोकने के लिए हर समय 10 गोताखोर मौजूद रहेंगे। इस बार राधा कुंड, श्याम कुंड, कुसुम सरोवर समेत सभी कुंण्डो में स्नान करने पर प्रतिबंध लगाते हुए कुंडों पर बैरीकेडिंग की गई है।