डिजिटल अरेस्ट : इंजीनियर समेत दो लोगों से ठगे 12 लाख, एफआईआर दर्ज

लखनऊ, अमृत विचार। साइबर ठगों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर समेत दो लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने के नाम पर 12 लाख रुपये ठग लिए। इंजीनियर को भेजे गए पार्सल में नशीला पदार्थ मिलने की बात कहकर नौ लाख रुपये वसूले। वहीं एग्रो कंपनी के कर्मचारी से तीन लाख ठग लिए। दोनों 27 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। पीड़ितों ने विकासनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
विकासनगर सेक्टर-आठ निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्वनी वर्मा के पास अन्जान नम्बर से कॉल आई। फोन करने वाले ने बताया कि अश्वनी ने एक पार्सल भेजा है, जिसमें 150 ग्राम एमडीएक्स मिली है। आप तुरंत साइबर क्राइम अधिकारी राजेश प्रधान से बात कर लीजिए। अश्वनी ने आईपीएस अधिकारी बने राजेश प्रधान को कॉल किया। उसने नशीले पदार्थ की तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाते हुए अश्वनी की 28 दिन की रिमांड लेने की बात कही।
उसके बाद बयान और सर्विलांस पर रखने की बात कही। स्काइप ऐप से स्क्रीन भी शेयर करवा लिया, ताकि कहीं कॉल न कर सके। कहा कि आरबीआई का एक खाता है, जो कस्टम जनरेटेड होता है। लिहाजा अपने खाते से सारी रकम ट्रांसफर कर दो। जांच के बाद रुपए वापस हो जाएंगे। आरोपी के दबाव में अश्वनी ने बैंक जाकर करीब नौ लाख रुपये ठग के बताए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।
सीबीआई अधिकारी बनकर की ठगी
विकास विहार निवासी मनोज गुप्ता बाराबंकी कुर्सी रोड स्थित गोयल एग्रो में काम करते हैं। उनके मोबाइल पर अनजान नम्बर से कॉल आई। फोन करने वाले ने बताया कि मनोज के आधार का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधि में हुआ है। ऐसे में उनके खिलाफ सीबीआई की तरफ कार्रवाई होगी। सीबीआई का नाम सुनकर मनोज घबरा गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आया। कॉलर ने बताया कि आपको अभी डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है।
इस दौरान हम आपके खाते में जमा रुपयों की जांच करेंगे, जिससे पता चलेगा कि आप आपराधिक गतिविधि में शामिल हैं कि नहीं। इसके बाद जालसाज ने मनोज को एक अकाउंट बताया। इसमें एनईएफटी से करीब तीन लाख रुपये जमा कराए। जालसाज ने रुपये ट्रांसफर होने के कुछ देर बाद कॉल करने की बात कही थी। काफी देर तक फोन नहीं आने पर मनोज को शक हुआ। उन्होंने परिचितों से घटना के संबंध में बात की। फिर विकासनगर कोतवाली पहुंच कर मुकदमा दर्ज कराया।
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