गोंडा: टैक्सी के पायदान पर लटककर होता है गोंडा से उतरौला का सफर

प्राइवेट टैक्सी चालकों की मनमानी से खतरे में यात्रियों की जान

गोंडा: टैक्सी के पायदान पर लटककर होता है गोंडा से उतरौला का सफर

धानेपुर, गोंडा, अमृत विचार।  यातायात नियमों की धज्जियां उड़ते देखना है तो गोंडा उतरौला मार्ग पर चलकर देखिए। इस मार्ग पर दर्जनों डग्गामार टैक्सियां आपको फर्राटा भरती दिखाई दे जायेंगी। निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बिठाना तो बेहद मामूली बात है आधे से अधिक सवारियां तो इन टैक्सियों के पायदान पर खड़ी होकर यात्रा करती मिल जायेंगी। इन टैक्सी चालकों को न तो यात्रियों की जान की फिक्र है और न ही पुलिस का खौफ। तभी तो यह टैक्सी चालक थाने और पुलिस चौकियों के सामने से बेखौफ होकर फर्राटा भर रहे हैं। 

सवारी के लिहाज से गोंडा उतरौला मार्ग जिले के सबसे व्यस्ततम सड़कों में से एक है, लेकिन सरकारी सेवा के नाम पर इस मार्ग पर कुछ गिनी चुनी रोडवेज बसों का संचालन होता है। इसका भरपूर फायदा निजी टैक्सी चालक उठाते हैं। इस मार्ग पर डग्गामार टैक्सियों की भरमार है। करीब दो दर्जन से अधिक टैक्सियां प्रतिदिन इस मार्ग पर सवारी ढोने का काम करती हैं।‌ लेकिन सार्वजनिक बसों की कमी के कारण यह टैक्सियां भी यात्रियों के लिए कम पड़ जाती है। इसका फायदा उठाते हुए टैक्सी चालक यात्रियों को वाहन के बाएं और पीछे लगे पायदान पर खड़ा कर देते हैं।

उन्हे आगे चलकर सीट देने का झांसा देकर लटका लिया जाता है और फिर पूरे 50 किमी का सफर उन्हें पायदान पर लटककर ही पूरा करना पड़ता है‌। इस पूरे सफर में उनकी जान जोखिम में रहती है। गोंडा से उतरौला तक के इस 50 किमी के सफर में आधा दर्जन से अधिक थाने और पुलिस चौकियां रास्ते में पड़ती है लेकिन इन ओवरलोडेड टैक्सियों पर उनकी नजर नहीं पड़ती। टैक्सी चालक भी बेखौफ थानों और चौकियों के सामने से फर्राटा भरते हैं। 

जोखिम में जान, राजस्व का भी नुकसान

 इन डग्गामार टैक्सियों पर लटक कर सफर करते यात्रियों की जान तो जोखिम में रहती ही है अवैध रूप से संचालित हो रही इन टैक्सियों से सरकार के राजस्व को भी चूना लग रहा है। यात्रियों का कहना है इस मार्ग पर रोडवेज बसों का संचालन बढ़ा दिया जाए तो लोगों की निर्भरता इन टैक्सियों पर कम हो जायेगी।‌ इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और लोगों की यात्रा भी सुगम होगी। 

न परमिट, न फिटनेस, अधिकतर चालकों के पास तो लाइसेंस भी नहीं

 गोंडा से उतरौला तक चलने वाली इन टैक्सियों में आधे से ज्यादा बिना परमिट की है‌। जिन्होंने परमिट लिया भी था वह उसे सरेंडर करा चुके हैं। इन टैक्सियों के फिटनेस की बात करना भी बेमानी है। जैसे तैसे यह अपना सफर पूरा करती हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन टैक्सियों के ज्यादातर चालकों के पास तो लाइसेंस भी नहीं होता। ऐसे में इनसे अगर कोई दुर्घटना हो जाए उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा यह बड़ा सवाल है।