उन्नाव संसदीय सीट: साक्षी महाराज की हैट्रिक में अन्नू की चुनौती के सामने अशोक का त्रिकोण...पांच बार इस सीट पर जीत चुकी BJP

उन्नाव संसदीय सीट पर पांच बार इस सीट पर जीत चुकी है भाजपा, फिर हैट्रिक लगाने की जुगत में है

उन्नाव संसदीय सीट: साक्षी महाराज की हैट्रिक में अन्नू की चुनौती के सामने अशोक का त्रिकोण...पांच बार इस सीट पर जीत चुकी BJP

उन्नाव, (प्रकाश तिवारी)। 1991 की राम मंदिर लहर में पहली बार उन्नाव संसदीय सीट का किला फतह करने वाली भाजपा ने तब लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी। अब एक बार फिर तब के भाजपा सांसद देवीबख्श सिंह की जीत के रिकार्ड की बराबरी करने के लिए साक्षी महाराज जोर आजमाइश कर रहे हैं। 2014 की मोदी लहर में जीते साक्षी महाराज ने 2019 में भी बड़े अंतर से सपा उम्मीदवार को हराया था।
 
अबकी बार वे मोदी की गारंटी और राष्ट्रवाद के रंग को गाढ़ा कर इस सीट पर जीत की हैट्रिक दर्ज करने के लिए गुणा- भाग कर रहे हैं। अपनी इस कोशिश में वह राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के मुद्दे को भी भुना रहे हैं। इसी सीट से 2009 में कांग्रेस से सांसद रहीं अन्नू टंडन इस बार सपा की साइकिल पर सवार होकर उन्हें चुनौती दे रही हैं। इस लड़ाई को पत्रकार से नेता बने अशोक पांडेय हाथी के महावत बनकर त्रिकोणीय बनाने में प्रयासरत है। अब इस बार सांसद कौन बनेगा यह तो मतदान और परिणाम बताएगा, फिलहाल उन्नाव सीट पर मुकाबला दिनों दिन रोचक होता जा रहा है।
उन्नाव लोकसभा सांसद सीट
 
लोधी मतदाताओं की बहुलता
 
लोधी मतदाताओं की बहुलता वाली इस संसदीय सीट पर 2004 में बसपा के टिकट पर जीते ब्रजेश पाठक इस वक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं। साक्षी महाराज की जीत की हैट्रिक की जिम्मेदारी वह बखूबी निभाते नजर भी आ रहे हैं। हालांकि पार्टी में कुछ मुद्दों पर साक्षी महाराज के प्रति नाराजगी भी है।  जिसे पार्टी के बड़े नेता भी जानते हैं और उसे दूर करने की अंदरखाने कोशिश भी कर रहे हैं।
 
साक्षी महाराज ने भी प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़े रट रखे हैं, वे सभाओं में इन्हें मतदाताओं को सुनाते  हैं और अपनी उपलब्धियों की सूची में प्रयागराज- मेरठ एक्सप्रेस वे, रिंग रोड और कानपुर- लखनऊ एक्सप्रेस वे को जोड़ते हैं। लेकिन सपा प्रत्याशी अन्नू टंडन भी उनसे कहीं कम नजर नहीं आती हैं। वह भी मतदाताओं को बताने में लगी हैं कि रोजगार का वादा कर नौकरी न देने वालों की गारंटी में कोई दम नहीं है।
 
चार सौ पार सीटें इसलिए चाहिए ताकि संविधान बदला जा सके और आरक्षण को खत्म किया जा सके। वह युवाओं को अग्निवीर योजना की कमियां बताती हैं और बेरोजगारी का दर्द उभारने की कोशिश करती हैं। इन दोनों योद्धाओं के चक्रव्यूह को तोड़कर जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में अशोक पांडेय भी लगे हुए हैं। जल्द ही बसपा मुखिया मायावती और आकाश आनंद की सभा कराने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी बसपा के परंपरागत मतदाताओं और ब्राह्मण मतदाताओं के सहारे जीत की उम्मीद नजर आ रही है।
 
सभी सीटों पर भाजपा के विधायक
 
लोकसभा क्षेत्र में उन्नाव,बांगरमऊ, सफीपुर, मोहान, भगवंतनगर और पुरवा विधानसभा सीटें हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। यहां तक कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद भी भाजपा के ही पास है। कहा जा रहा है कि भाजपा के एक- दो विधायक भी सांसद से नाराज हैं, लेकिन बात पीएम मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की है तो वे लगातार क्षेत्र में भ्रमण करते हुए वोट मांग रहे हैं। हालांकि कई बार अपनों के बीच उनका दर्द छलक भी जाता है। 2017 में भाजपा के पास पांच विधानसभा सीटें थीं। पुरवा विधानसभा सीट तब बसपा के खाते में गई थी हालांकि उसके विधायक अनिल सिंह कुछ दिनों बाद ही भाजपा के संपर्क में आ गए थे। 2022 में वे भाजपा के टिकट पर ही जीते थे।
 
बदला परिसीमन तो खुली कांग्रेस की किस्मत
 
2008 में लोकसभा क्षेत्र का परिसीमन हुआ तो पुरवा, मोहान, भगवंतनगर, सफीपुर, बांगरमऊ और उन्नाव सदर विधानसभा सीट को मिलाकर उन्नाव संसदीय सीट का नए सिरे से गठन हुआ। उन्नाव से सटी मोहनलालगंज सुरक्षित संसदीय सीट में शामिल जिले की  दो विधानसभा सीटों को काटकर उन्नाव लोकसभा क्षेत्र बनाया गया था।  इसके बाद जब 2009 में चुनाव हुआ तो कांग्रेस की अन्नू टंडन यहां से जीतने में कामयाब रहीं। हालांकि 1984 के बाद कांग्रेस यहां से कभी नहीं जीती थीं।
 
वनवास काट रही कांग्रेस का वनवास तो उस समय खत्म हो गया था लेकिन 2014 में जब मोदी लहर आई तो कांग्रेस को यह सीट भाजपा के हाथों गंवानी पड़ी। स्थिति ये रही कि पार्टी की प्रत्याशी अन्नू टंडन पिछड़कर चौथे स्थान पर पहुंच गईं। दूसरे नंबर पर सपा के अरुण शंकर शुक्ल और तीसरे पर बसपा के ब्रजेश पाठक थे। 2019 में जब सपा- बसपा का गठबंधन हुआ तो फिर भाजपा जीती और सपा के अरुण शंकर शुक्ल दूसरे और कांग्रेस की अन्नू टंडन तीसरे स्थान पर रहीं। अब अन्नू सपा के टिकट पर मैदान में हैं और उन्हें भरोसा है कि इस बार वह मैदान मार लेंगी।  
 
सबसे पहले कृष्ण देव त्रिपाठी ने लगाई थी हैट्रिक
 
1952 से 1971 तक इस संसदीय सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। जब 1977 में जनता पार्टी की लहर आई तो कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के कृष्ण देव त्रिपाठी ने 1962, 1967 और 1971 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की थी। इस सीट पर सबसे पहले उन्होंने ही हैट्रिक लगाई थी। इसके बाद यह रिकार्ड भाजपा के देवी बख्श सिंह ने बनाया। उन्होंने 1991, 1996 और 1998 में इस सीट पर लगातार जीत दर्ज की। 1999 में सपा के दीपक कुमार ने यहां जीत दर्ज कर भाजपा के जीत के सिलसिले को तोड़ा था। हालांकि 2004 में बसपा के ब्रजेश पाठक ने सपा से यह सीट छीनी। 2014 में ब्रजेश पाठक इस सीट से हारे और फिर भाजपा में शामिल हुए। 
 
लोधी और पासी मतदाता होते निर्णायक
 
इस लोकसभा क्षेत्र में पासी और लोधी वोट निर्णायक भूमिका में है। लोधी मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख तो पासी मतदाता डेढ़ लाख के आसपास हैं। यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां दोनों ही जातियों के मतदाताओं पर विशेष नजर रखती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का नाम भी बदलकर गुलाब सिंह लोधी के नाम पर कर दिया था। एक माह पहले ही स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए गुलाब सिंह लोधी की प्रतिमा का अनावरण भी किया था। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही भाजपा ने यहां विधानसभा चुनाव में भी टिकट बांटे थे।
 
पार्टी ने जहां बांगरमऊ में कुर्मी समाज के श्रीकांत कटियार को मौका दिया तो क्षत्रिय मतों को साधने के लिए पुरवा से अनिल सिंह को फिर से चेहरा बनाया। मोहान सुरक्षित सीट से पासी जाति के बृजेश रावत तो सफीपुर से बंबा लाल दिवाकर को चुना था। भगवंत नगर से आशुतोष शुक्ला तो उन्नाव से पंकज गुप्ता को उतार कर वैश्य जाति के वोटों को साध लिया था। यह गणित लोकसभा चुनाव में काम आए इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।
 
2019 में मत प्रतिशत
 
भाजपा - 56.87
सपा - 24.46
कांग्रेस - 15.01
 
2014 में वोट शेयर 
 
भाजपा - 43.18
सपा - 17.37
बसपा - 16.66
कांग्रेस - 16.40
 
1241096 - पुरुष मतदाता 
1095120 - महिला मतदाता 
98 - थर्ड जेंडर मतदाता 
2336314 - कुल मतदाता संख्या