इंदौर के चुनावी घटनाक्रम पर "हैरान" सुमित्रा महाजन बोलीं, "जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था"

इंदौर के चुनावी घटनाक्रम पर

इंदौर। मध्य प्रदेश में इंदौर के कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के ऐन मौके पर पर्चा वापस लेने से इस प्रमुख विपक्षी दल के चुनावी दौड़ से बाहर होने के घटनाक्रम को लेकर लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हैरानी जताई है। महाजन ने कांग्रेस उम्मीदवार की पर्चा वापसी को अनुचित करार देते हुए कहा है कि चुनावों की लोकतांत्रिक पद्धति में फैसले का अधिकार मतदाताओं को है। बम पेशे से कारोबारी हैं। उन्होंने इंदौर में कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गए थे।

इसके साथ ही भाजपा का मजबूत गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस की चुनावी चुनौती समाप्त हो गई, जहां वह पिछले 35 साल से जीत की बाट जोह रही है। भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से साक्षात्कार में कहा, ‘‘इंदौर में प्रमुख विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) के उम्मीदवार (बम) के पर्चा वापस लेने के बारे में जानकर मैं आश्चर्यचकित रह गई कि यह क्या हो गया?  ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस घटनाक्रम की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि दीवार पर लिखा हुआ है कि इंदौर में भाजपा को कोई भी नहीं हरा सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस उम्मीदवार (बम) को ऐन चुनावों में ऐसा नहीं करना चाहिए था। 

उसने एक तरह से अपनी पार्टी (कांग्रेस) से भी धोखा किया, लेकिन मैं ऐसे शब्दों का इस्तेमाल क्यों करूं?’’ महाजन ने दावा किया कि बम के कांग्रेस को झटका देकर भाजपा में आने के घटनाक्रम के पीछे की कहानी के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। "ताई" (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन) के नाम से मशहूर 81-वर्षीया भाजपा नेता ने कहा, "मुझे नहीं पता कि वास्तव में क्या हुआ था। अगर यह सब हमारे लोगों ने किया है, तो गलत है। यह किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। अगर कांग्रेस उम्मीदवार ने अपनी मर्जी से ऐसा किया है, तो मैं उन्हें भी कहूंगी कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।’’ 

महाजन ने कहा कि प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को सोच-समझकर पर्चा भरना चाहिए और अगर उन्होंने नामांकन दाखिल किया है, तो उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रजातंत्र का मतलब जनता के बीच जाकर जनता का निर्णय हासिल करना है कि वह क्या चाहती है। चुनाव इसलिए ही होते हैं।’’ महाजन ने कहा कि इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास में अपनी तरह के पहले चुनावी पालाबदल के बाद शहर के कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने उन्हें फोन करके नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, ‘‘फोन पर इन लोगों ने मुझसे कहा कि अब वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुनेंगे, क्योंकि भाजपा ने जो किया, वह उन्हें अच्छा नहीं लगा।’’ महाजन ने आगे कहा, "मैंने इन लोगों को समझाया कि इस प्रकरण में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी अपनी मूल विचारधारा पर अडिग होकर काम कर रही है तथा हमारे उम्मीदवार (शंकर लालवानी) मैदान में हैं, इसलिए उन्हें नोटा के बजाय भाजपा को वोट देना चाहिए।’’

 इंदौर सीट पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है और महाजन ने इस क्षेत्र से 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीते थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था। भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद लालवानी को लगातार दूसरी बार इंदौर के चुनावी रण में उतारा है। मतदाताओं की तादाद के लिहाज से सूबे के सबसे बड़े लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में इस बार 25.13 लाख लोग मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे,

जहां भाजपा ने आठ लाख मतों के अंतर से जीत का नारा दिया है। इंदौर के घटनाक्रम से महज हफ्ता भर पहले, भाजपा ने लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट से 22 अप्रैल को अपनी पहली जीत दर्ज की, जब कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन गड़बड़ियों के कारण खारिज कर दिया गया और अन्य उम्मीदवार भी चुनावी दौड़ से बाहर हो गए। नतीजतन भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल की जीत पक्की हो गई। इस बारे में पूछे जाने पर महाजन ने जवाब दिया कि सूरत में क्या, कैसे और क्यों हुआ, 

उन्हें पता नहीं है, क्योंकि संबंधित घटनाक्रम के वक्त वह गुजरात के इस शहर में मौजूद नहीं थीं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने पर महाजन ने कहा, ‘‘यह क्या कम है कि गांधी पूरे देश में घूमकर मेहनत कर रहे हैं। वह अपनी लोकसभा सीट बदल रहे हैं, तो बदलें। अच्छी बात है। मैं उनसे बस यही कहूंगी कि उन्हें पूरे देश को सही नजरिये से देखना चाहिए, ताकि जब वह विपक्ष में बैठें, तो उन्हें बुनियादी मुद्दों की अच्छी जानकारी हो और वह देश के लिए सही बात कर सकें।’’ भाजपा के ‘‘अबकी बार, 400 पार" के चुनावी नारे को लेकर विपक्षी दलों के सवालों पर वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा,

‘‘जब कोई विद्यार्थी साल भर पूरी लगन से पढ़ाई करता है और मानता है कि उसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होना ही है, तो हमें उसकी यह बात अटपटी क्यों लगनी चाहिए। छोटा लक्ष्य रखना अपराध है।’’ महाजन ने दावा किया कि देश के विकास, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और नागरिकता संशोधन कानून बनाए जाने सरीखे कदमों के बूते भाजपा इस बार 400 लोकसभा सीट जीतने के नारे को अमली जामा पहनाएगी। 

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