पीलीभीत: फिर प्रदूषित हो रही आबोहवा, बेतरतीब ढंग से कराए जा रहे निर्माण कार्य, सड़कों पर उड़ती धूल दे रही बीमारियों की सौगात

पीलीभीत: फिर प्रदूषित हो रही आबोहवा, बेतरतीब ढंग से कराए जा रहे निर्माण कार्य, सड़कों पर उड़ती धूल दे रही बीमारियों की सौगात

पीलीभीत, अमृत विचार: शहर में सरकारी संस्थाओं द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य मुसीबत बनते जा रहे हैं। सड़कों के किनारे खोदे गए गड्ढों और उनसे निकाली गई मिट्टी सड़क पर ही डाल दी गई। 

तेज हवा चलने और वाहनों के गुजरने से यही मिट्टी धूल का गुबार बन रही है। इन बेतरतीब ढंग से कराए जा रहे निर्माण कार्यों और उड़ती धूल से लाजिमी है कि शहर का पर्यावरण भी प्रभावित होगा। अनदेखी का नतीजा यह है कि प्रदूषण का ग्राफ तो बढ़ा ही है, साथ ही लोग बाग भी बीमार हो रहे हैं। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 95 माइक्रो घनमीटर रहा। विशेषज्ञों की मानें तो यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया तो प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ सकता है।

पर्यावरण के लिहाज से तराई का यह जिला बेहतर माना जाता था, मगर पिछले कुछ सालों से यह जिला भी प्रदूषण की समस्या से जूझने लगा है। जानकार इसके पीछे शहर में बेतरतीब ढंग से कराए जा रहे निर्माण कार्य, सड़कों पर उड़ती धूल एवं वाहनों से निकलते धुएं को वजह मान रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी में प्रदूषण बढ़ जाता है। ऐसे में यदि बारिश होती है तो प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है। 

पिछले माह की शुरुआत में जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई)  55 माइक्रो प्रति घनमीटर से भी कम रहा था, मगर अब यह तेजी से बढ़ने लगा है। ढाई लाख की आबादी वाला यह शहर इन दिनों प्रदूषण का चैंबर बनता जा रहा है। शहर में किसी भी दिशा से प्रवेश करने के बाद सड़कों और कच्चे फुटपाथों पर उड़ती धूल शहरवासियों का जीना दुश्वार किए हुए हैं। शहर के बीच से गुजर रहे टनकपुर हाईवे, गौहनिया चौराहे से माधोटांडा रोड, डिग्री कॉलेज चौराहे से रामलीला रोड, नौगवां चौराहे से असम चौराहे की ओर जाने वाली सड़क पर धूल ही धूल देखी जा सकती है।

हर तरफ धूल का गुबार, असम चौराहा व टनकपुर हाईवे भी अछूता नहीं
पीलीभीत, अमृत विचार: शहर की फिजा खराब करने में सरकारी संस्थाओं द्वारा बेतरतीब ढंग से कराया जा रहा निर्माण कार्यों का सबसे अहम योगदान है। पालिका प्रशासन द्वारा शहर में कई स्थानों पर नाला निर्माण को लेकर खुदाई कराई गई है। खोदी गई मिट्टी को सड़क के किनारे ही डाल दिया गया है। चिलचिलाती धूप में गर्म हवाओं के साथ यही मिट्टी उड़कर धूल का गुबार बन रही है। आलम यह है कि जब कोई वाहन इन मार्गों पर गुजरता है तो स्थिति और भी खराब हो रही है। सड़क पर चलने वाले लोगों से लेकर आसपास की दुकानों में धूल ही धूल देखी जा रही है।

कमोबेश ऐसा ही कुछ हाल टनकपुर हाईवे और असम चौराहे का भी है। पिछले दिनों गांधी सभागार में आए दिन हो रहे सड़क हादसों को लेकर सड़क सुरक्षा समिति की बैठक हुई थी। बैठक में एनएचएआई के अधिकारियों को टनकपुर हाईवे का फुटपाथ दुरुस्त कराने को कहा गया था। एनएच की ओर से हाईवे के किनारे ही मिट्टी खुदवाकर फुटपाथ पर डाल दी गई। 

ऐसे में यह फुटपाथ अब और भी ऊबड़ खाबड़ होने के साथ राहगीरों के लिए मुसीबत बन गया है। हाईवे के किनारे मिट्टी के ढेरों से उड़ती धूल हर किसी को परेशान किए हुए हैं। असम चौराहे का हाल भी बेहाल है। यहां फ्लाईओवर का काम चल रहा है। हालांकि कार्यदायी संस्था द्वारा निर्माण के दौरान सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं, आसपास पानी का छिड़काव भी किया जाता है। इसके बावजूद यहां अधिकांश समय धूल ही धूल उड़ती रहती है।

चौराहे पर खड़े होकर बसों आदि का इंतजार करने वालों के उड़ती धूल मुसीबत बनी हुई है। आलम यह है कि चौराहे पर आने से लोग कुछ ही मिनट में धूल से सराबोर हो रहे हैं। आसपास की दुकानें धूल से पट चुकी है। इन दुकानदारों का कहना है कि उड़ती धूल से कारोबार तो ठप हो ही रहा है, खुद अब जान को खतरा नजर आने लगा है। वहीं शहर की सड़कों पर लगने वाला वाहनों का जाम भी प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। जाम में फंसने के दौरान वाहनों से निकलता जहरीला धुंआ भी शहरवासियों की सेहत से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह सभी कारक प्रदूषण को खासा बढ़ावा दे रहे हैं।

कम ऊंचाई पर जमा हो जाते धूल के कण
समाधान विकास समिति विपनेट क्लब के जिला समन्वयक एवं पर्यावरणविद् लक्ष्मीकांत शर्मा के मुताबिक गर्मी के मौसम में धूल के कण पूरे वायुमंडल में फैल जाते हैं। जबकि ठंड में यह कम ऊंचाई पर ही रहते हैं।  ऐसे में जब सड़कों पर वाहन दौड़ते हैं, धूल और धुआं उड़ता है तो धूल के कण आसपास के वायुमंडल में जमा हो जाते हैं। बेतरतीब निर्माण कार्य भी प्रदूषण में इजाफा करते हैं।  इन सब वजहों से ही वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 95 के आसपास पार रहा। यह स्तर संवेदनशील लोगों के लिए खतरे का सूचक है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स और उसका स्वास्थ्य पर प्रभाव-
0-50 (अच्छा)/कुछ नहीं
51-100 (संतोषजनक)/संवेदनशील लोगों को दिक्कत
101-200 (थोड़ा प्रदूषित)/बच्चों और वयस्कों के लिए खतरा
201-300 (खराब)/फेफड़े संबंधी बीमारियां
301-400 (बहुत खराब)/ लंबे समय तक ऐसा रहने से फेफड़े और दिल की बीमारियां
401-500 (गंभीर)/ हृदय रोगियों के लिए प्राणघातक

यह भी पढ़ें- पीलीभीत: सरकारी स्कूल का हाल: मास्साब को चाहिए 50 किलो गेहूं, बच्चों से करा रहे काम...कोटेदार परेशान!