मथुरा: इंदिरा गांधी भी थीं शिवलाल चतुर्वेदी की प्रतिभा की कायल, तीन बार किया था सम्मानित 

मथुरा: इंदिरा गांधी भी थीं शिवलाल चतुर्वेदी की प्रतिभा की कायल, तीन बार किया था सम्मानित 

मथुरा। मथुरा, अमृत विचार। पांच दशक से अधिक समय तक रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले शिवलाल चतुर्वेदी की प्रतिभा की अभिनय कला की कायल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी भी थी। उन्होंने इस कलाकार को तीन बार सम्मानित किया था। तीन दिन पूर्व अपने जीवन की अंतिम सांस लेनेवाले 71 वर्षीय शिवलाल चतुर्वेदी ’’चाचू ’’ के नाम से मशहूर थे।

उनका सम्मान पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह एवं गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल आर के त्रिवेदी ने भी किया था। वे बच्चों में बच्चे, युवकों में युवक और वृद्धो में वृद्ध थे। रामलीला में रावण के रूप में उनकी भूमिका वास्तव में रामलीला की जान थी। आत्म विश्वास से ओतप्रेात यह कलाकार जब मंच पर आता था तो उसका अभिनय त्रेता युग के रावण की तरह होता था। 

मंच पर उनकी आवाज इतनी जानदार , जोश और आत्मविश्वास से भरी होती थी कि दर्शक उनके अभिनय को बार बार देखना चाहते थे। सादा जीवन उच्च विचार इस कलाकार की अपनी विशेषता थी । वे लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। भांग उनको अत्याधिक प्रिय थी तथा वे भांग की प्रशंसा में अक्सर कहते थे ऐसी आवे, हरि गुन गावे, भैंसा की सवारी हाथी सी नजर आवे। हरि के चरणारविन्द में ध्यान लगावे ।

ब्रज के प्रसिद्ध संत कंचनदास महराज तो चाचू के बारे में यह कहते थे कि रामलीला में अभिनय करते समय उनकी आवाज इतनी बुलंद होती थी कि उनको माइक की आवश्यकता ही नही होती थी ।कंचनदास महराज को काम्याख्या मन्दिर से स्वयं भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन लाए थे और उनको आदेश दिया था कि वे ब्रजभूमि में रहकर दीनदुखियों की सेवा करें। ठाकुर के आशीर्वाद के कारण ही वे भक्त को उसके आराध्य के दर्शन उसकी आंखे बन्द करवाकर करा देते थे। 

भगवत भक्ति के कारण उन्हें संत गंगादास महराज पुरीवाले, सुदामादास महराज, नृत्य गोपालदास, नारायणदास महराज , बलरामदास जी महराज, जगदगुरू रामनरेशाचार्य, संत सुतीक्ष्ण दास महराज एवं राधाचरणदास तटिया स्थानवालों का उन्हें आशीर्वाद प्राप्त था। उन्होंने मंच पर अपने अभिनय को प्रभावी बनाने के कई गुरू शंकरलाल चतुर्वेदी से सीखा था।

 तीन दिन पहले हुए उनके निधन पर चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि उनका दाहिना हाथ कट गया है। गोवर्धन पीठाधीश्वर संत अनुग्रहदास महराज ने कहा कि ठाकुर के लिए जो समर्पित होते हैं ठाकुर उन्हें बिना कष्ट दिये अपने श्रीचरणों में स्थान दे देते हैं।