रामपुर : बेगम नूरबानो और जयाप्रदा के चुनाव में गली-गली घूमे थे सितारे, इस बार नहीं लग रहा फिल्मी तड़का
सुहेल जैदी,अमृत विचार। इस बार का लोकसभा चुनाव रामपुर वालों के लिए सूना-सूना है। सपा के फायर ब्रांड नेता दो जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में सीतापुर की जेल में सात वर्ष की सजा काट रहे हैं। इसके अलावा इस बार चुनाव में किसी फिल्मी सितारे का तड़का भी नहीं लगा है। मजेदार बात यह है भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक समेत तमाम नेता जनसभाएं कर चुके हैं। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक भी जनसभा नहीं की है। जबकि, पूर्व सांसद बेगम नूरबानो और फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के चुनाव में फिल्मी सितारे गली-गली घूम चुके हैं।
लोकसभा चुनाव में होने वाली जनसभाएं आजम खां के जेल में होने और बेगम नूरबानो और जयाप्रदा के चुनाव से दूरी बना लेने के कारण नहीं हो पा रही हैं। किला मैदान, पुरानी तहसील, पान दरीबा में होने वाली जनसभाओं में नेताओं को सुनने के लिए दूर-दराज से लोग आते थे। पूर्व सांसद बेगम नूरबानो के चुनाव में फिल्म अभिनेता सुनील दत्त, दिलीप कुमार, जानी वॉकर ने जान फूंक दी थी। इसके अलावा फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के चुनाव में फिल्म अभिनेता फिरोज खां, संजय दत्त, अनिल कपूर, जानी लीवर, नगमा समेत कई छोटे व मझोले कलाकार गली-मोहल्लों में घूमा करते थे। लेकिन, इस बार चुनाव में सन्नाटा पसरा है। प्रत्याशी खुद ही अपने चुनाव की कमान संभाले हैं।
कांग्रेसी असमंजस में है कि क्या करें। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 24 मार्च को सीतापुर की जेल में पूर्व मंत्री आजम खां का रामपुर से चुनाव लड़ने का सुझाव नहीं माना। इसलिए सपाई भी असमंजस में हैं। हालांकि, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बसपा ने नए चेहरे जीशान खां पर दांव लगाया है। इस चुनाव में मायावती की खामोशी लोगों की समझ से परे है। उन्होंने पूरी यूपी को छोड़ अपनी पहली जनसभा नागपुर में की है।
शहर के मोहल्ला लाल मस्जिद निवासी दानिश मंसूरी कहते हैं कि आजम खां के जेल में होने से चुनाव में मजा नहीं आ रहा है। शरणार्थियों वाला फाटक निवासी अनिल भाटिया कहते हैं कि बेगम नूरबानो को निर्विरोध चुनाव लड़ना चाहिए था। बताते हैं कि रामपुर में आजादी के बाद से पहला चुनाव है जो इतना शांत हो रहा है। कहा कि 1952 के पहले चुनाव में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने चुनाव लड़ा था और वह देश के पहले शिक्षा मंत्री बने थे। तब लोगों को चुनाव में बहुत दिलचस्पी थी। गली-गली चुनाव कार्यालय खुला करते थे। बच्चों और बड़ों में बिल्ले और पोस्टर लेने की होड़ रहती थी। मगर अब यह गुजरे जमाने की बाते हो गईं। नई पीढ़ी को चुनाव में जरा भी दिलचस्पी नहीं है।
विधानसभावार मतदाताओं की संख्या
- विधानसभा मतदान केंद्र पुरुष महिला अन्य कुल
- 34-स्वार 190 163778 147057 43 310878
- 35-चमरौआ 206 165536 146518 26 312080
- 36-बिलासपुर 268 186186 161165 806 351987
- 37-रामपुर 154 205565 184255 38 389858
- 38-मिलक 253 191988 169120 33 361141
- योग 1071 913033 812756 155 1725944
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