नैनीताल जू में बूढ़े हो रहे जानवर, घट रही संख्या

गौरव जोशी, नैनीताल, अमृत विचार। चिड़ियाघर में बूढ़े जानवरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उम्र पूरी कर चुके जानवरों की मौत के कारण यहां विभिन्न प्रजातियां भी तेजी से कम हुई हैं। कोविड के बाद अन्य चिड़ियाघरों से नए जानवरों की अदला-बदली की प्रक्रिया ठप होने से भी नई प्रजातियों की गिनती आगे नहीं बढ़ पा रही है।
नैनीताल को पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए यहां 1995 में गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान की स्थापना की गई थी। समुद्र की सतह से करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस चिड़ियाघर को उत्तर भारत का एकमात्र हाई एल्टीट्यूट चिड़ियाघर माना जाता है।
चिड़ियाघर की उम्र बढ़ने के साथ ही अब यहां के जानवर भी तेजी से बूढ़े हो रहे। चिड़ियाघर में आज 20 फीसदी से अधिक जानवर उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। चिड़ियाघर की शान माने जाने वाले भालू, लैपर्ड, टाइगर और भेड़िया सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से है। हालांकि चिड़ियाघर प्रबंधन अन्य प्राणी उद्यानों से पत्राचार कर नए जानवर लाने का प्रयास कर रहा है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।
पांच साल में घट गए 33 जानवर
चिड़ियाघर में कोरोना के बाद ज्यादा संकट आया है। पांच साल पहले तक वहां 33 प्रजातियों के 281 जानवर रहते थे। लेकिन कोरोना के कद इनकी भी हालत बिगड़ती गई। आज चिड़ियाघर में जानवरों की संख्या 199 पर आकर सिमट गई है। साइबेरियन टाइगर और स्नों लेपर्ड जैसी प्रजातियां तो पूरी तरह खत्म हो गई है। इसके अलवा कुछ पक्षियों की प्रजातियां भी पूरी तरह समाप्त हो गई है।
दर्जनभर नए मेहमानों के पहुंचने की उम्मीद
चिड़ियाघर के रेंजर प्रमोद तिवारी बताते हैं वन्य जीवों की कमी के चलते देश के विभिन्न चिड़ियाघरों से पत्राचार किया है। उनका सकारात्मक जवाब भी मिला है। स्न्नो लैपर्ड भगाने की कवायद काफी पहले से की जा रही है। दार्जलिंग चिड़ियाघर से ब्लू शीप समेत अन्य वन्य जीवों की मांग को लेकर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से सहमति भी बन चुकी है। दर्जनभर नए मेहमान नैनीताल चिड़ियाघर में लाए जाने की कवायद की जा रही है।