Kanpur: जाम से जकड़ा पी रोड बाजार, अतिक्रमण व ई-रिक्शा से लोग परेशान, दुकानदारों ने फुटपाथ तक कर रखा कब्जा

Kanpur: जाम से जकड़ा पी रोड बाजार, अतिक्रमण व ई-रिक्शा से लोग परेशान, दुकानदारों ने फुटपाथ तक कर रखा कब्जा

कानपुर, अमृत विचार। सन् 1930 में स्थापित पीरोड बाजार उत्तर भारत की सबसे बड़ी संगठित बाजार में शुमार है। पुराने समय में श्रमिक बाजार के रुप में विख्यात बाजार में सुई से लेकर कार तक मुहैया होती है। आज के दौर में करोड़ों की लागत में रोजाना व्यापार करने वाली यह बाजार ई-रिक्शा, अतिक्रमण व जाम की समस्या से परेशान है। मुख्य मार्ग से लेकर गलियों में लगने वाले बाजार में न तो पार्किंग की व्यवस्था है और न ही यूरिनल की। इमरजेंसी में महिलाओं को दूसरों के घरों का दरवाजा खटखटाने तक के लिए मजबूर होना पड़ता है। 

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अंग्रेजों के शासन काल में अनुमानितक 300 छोटी-छोटी दुकानों से स्थापित होने वाली पी रोड बाजार में आज करीब पांच से छह हजार की संख्या में दुकानें है। जूते, चप्पल, रेडीमेड कपड़ो, साड़ी व सलवार सूट के बड़े-बड़े शोरूम होने के साथ ही बाजार में कास्मेटिक, क्रॉकरी, बर्तन बाजार है। महिलाओं की पसंदीदा बाजार में पी रोड में आम दिनों में करीब 30 से 40 हजार संख्या में ग्राहक आते है। 

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बाजार का रोजाना अनुमानित व्यापार करीब पांच करोड़ तक का है, लेकिन बाजार में पार्किंग, यूरिनल जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। दूर-दूर तक घनी गलियों में बसी सीसामऊ बाजार में जर्जर बिजली के तार हादसों को दावत दे रहे है। करीब 60 फिट चौड़ी रोड व 10-10 फिट चौड़े फुटपाथों वाला यह बाजार अतिक्रमण के दंश में दम घोंट रहा है। सड़क के दोनों अतिक्रमण के कारण फुटपाथ लगभग गायब होने के कगार पर है। 

साथ ही बाजार में 150 से अधिक ठेले वालों का कब्जे व बीच बाजार में वाहनों की पार्किंग के कारण मुख्य रोड 40 फिट तक ही बचती है। वनखंडेश्वर मंदिर चौराहे से गोपाल टॉकीज तक सबसे ज्यादा संकरी रोड है। इसके इतर पूरे बाजार में ई-रिक्शा चालकों की धमाचौकड़ी लगी रहती है। मनमर्जी के मुताबिक ई-रिक्शा चालक जगह-जगह पर वाहनों को रोक कर सवारियां भरते है, जिस कारण प्रत्येक 10 से 15 मिनट में बाजार में जाम की स्थिति बन जाती है। 

बाजार में अधिकांश संख्या में महिलाओं के आवागमन के बाद भी बाजार में महिलाओं की सुविधाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सीसामऊ बाजार में चावला साड़ी के सामने व लेनिन पार्क के पास एक यूरिनल है। सीसामऊ बाजार वाला यूरिनल जर्जर व लेनिन पार्क स्थित यूरिनल बाजार से काफी दूर होने के कारण अनुपयोगी है। व्यापारी गोपाल टॉकीज के पीछे वाली सड़क पर लघुशंका को जाने के लिए मजबूर होते है। व्यापारियों ने बताया कि बाजार में पुलिस गश्त न होने के कारण ई-रिक्शा चालकों की अराजकता व जाम की समस्या बनी रहती है।   

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व्यापारियों ने बताया कि गलियों में बसे सीसामऊ बाजार में छोटी-छोटी दुकानों के साथ ही साड़ियों व कपड़ों के शोरूम भी है। बाजार के बीच रोड में ठेले पर दुकाने लगती है। इसके साथ ही दोनों ओर से फुटपाथों में कब्जा है, जिस कारण बमुश्किल 10 फिट चौड़ी सड़क से लोग गुजरते है। 

इसके साथ ही बाजार में जर्जर बिजली के तारों के कारण अक्सर शार्ट सर्किट होता रहता है। जिस कारण आगजनी का खतरा मंडराता रहता है। बाजार में गोपाल टॉकीज व वनखंडेश्वर चौराहे के पास हाइडेंट पाइप की व्यवस्था थी, जो पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।  

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