सुलतानपुर गोआश्रय स्थल : हरा चारा तो दूर सूखा भूसा तक भरपेट नहीं दे पा रहे जिम्मेदार

सुलतानपुर, अमृत विचार। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद जिले के गो वंश कटने से तो बच जा रहे हैं, लेकिन इनको संरक्षित करने के लिए बनाये गये पशु आश्रय केंद्रों से कड़ाके की ठंड में भूख, प्यास से तड़प-तड़प कर मर रहे है। पिछले एक हफ्ते के अंदर की बात करें तो जिले की कई गोशाला में तमाम गोवंशों की मौत हो चुकी है। प्रधान और सचिव पशु आश्रय केंद्रों में संरक्षित गौवंशों की देखभाल में भारी लापरवाही बरत रहे है। गो वंशो की बदहाल स्थिति को देखते हुए प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने फैसला लिया था कि कोई भी गो वंश अब भूखे नहीं रहेंगे। इसको देखते हुए सरकार ने पशु आश्रय केन्द्रों का निर्माण कराया, ताकि गौवंश असमय काल के गाल में न समा सके। गो आश्रय केंद्रों का निर्माण होने के बाद गायों को पशु आश्रय केंद्र में रखा गया। जहां कड़ाके की ठंड में गौवंश भूख और प्यास से ठंड में तड़प तड़प कर दम तोड रहे हैं। इस कड़ाके की ठंड में अभी तक गोवंशो को काऊ कोट भी उपलब्ध नहीं करवाये गये है। बताते चलें कि अधिकारियों के निरीक्षण के बाद भी पशु आश्रय केंद्रों की दुर्दशा देखते नहीं बनती है।
जयसिंहपुर विकास खंड के पीढी गोशाला में तीन सौ से ज्यादा गोवंश हैं। कही ठंड से बचाव के लिए संसाधनों के अभाव में पशु अपना दम तोड़ रहे हैं। चारे की कमी से पशु काफी कमजोर हो गए हैं। उन्हें उठना चलना व बैठना मुहाल हो गया है। कई पशु गो शाला केंद्रों के टैग लगाए ल हुए पशु बाहर घूम रहे हैं । उन्हें भरपेट चारा भी नहीं मिल पा रहा है।जिम्मेदार अफसरों एवं ग्राम प्रधानों की नीति के चलते जिले के विभित्र गावों में बनाने गये पशु आश्रय स्थल की स्थिति बद से बदतर होती जाती है। सरकारी गौशालाओं में पशुओं के लिए चारे के अभाव व कड़ाके की ठंड से मर रहे हैं। कीचड़, गंदगी और अव्यस्था के बीच कड़ाके की ठंड में गोवंश तड़प रहे हैं। उनको ठंड से बचाने और चारे और देखभाल के लिए भी बेहतर इंतजाम नहीं हो सके हैं। ज्यादातर पशु आश्रय केंद्रों पर गाये बीमार पड़ी। उनका इलाज किया जा रहा है। इसी तरह से करोड़ो रुपये खर्च होने के बाद भी जिले में संचालित गौसंक्षण केंद्रों की हालत खराब है।सरकार गौवंश के लिए चाहे जितने उपाय क्यों न कर लें लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते बेसहारा पशुओं के लिए गौशालाओं में अव्यस्था चरम पर है।
खानापूर्ति का आलम यह है कि पशु आश्रय केंद्रों में साफ सफाई और पशुओं को कड़के की ठंड से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गये है।इस कड़ाके की ठंड में गो आश्रय केंद्रों में संरक्षित गोवंशों को पर्याप्त मात्रा में चारा न मिलने के चलते गौवंश बीमार होकर दम तोड़ रहे है। जिले में बेसहारा गौवंश को आश्रय देने के लिए पशु आश्रय केंद्र तो खोले गये। लेकिन अब यह पशु आश्रय केंद्र जिम्मेदार अफसरों व प्रधानों के लिए एक आय के साधन बन गये है। बीडीओ जयसिंगपुर निशा तिवारी ने बताया कि लगातार चेकिंग की जाती है। जल्द हीं अभियान चलाकर सभी गोआश्रय स्थल की पड़ताल की जाएगी।
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