Kanpur Chamanganj Fire: हाईड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन फिर बीमार… मरम्मत के 30 लाख पानी में बहे
कानपुर में एक बार फिर हाईड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन बीमार साबित हुई।
कानपुर में एक बार फिर हाईड्रोलिक प्लेटफार्म मशीन बीमार साबित हुई। जिसकी मरम्मत के लिए 30 लाख रुपये पानी में बहे थे। लखनऊ मुख्यालय में इटली से आई इंजीनियरों की टीम ने सर्विस किया था।
कानपुर, अमृत विचार। पिछले पांच वर्षों से खराब पड़ी हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म हाल ही में 30 लाख के खर्च से ठीक कराई गई थी। लेकिन एक दिन के ट्रायल के बाद वह फिर से बीमार है। बांसमंडी में उत्तरप्रदेश के सबसे बड़े अग्निकांड में सफेद हाथी साबित हुई थी। इसके बाद बाबूपुरवा चालीस दुकान और एक्सप्रेस रोड पर तीन खंड के शिव प्लाजा और सोमवार को चमनगंज थानाक्षेत्र में अपना अपार्टमेंट के बेसमेंट में लगी आग के बाद चार मंजिल से फंसे लोगों को रेस्क्यू किया गया।
खराब मशीन को अमृत विचार अखबार ने बड़ी प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसका डीजी फायर ने संज्ञान लिया था। इटली से आई इंजीनियरों की टीम ने इसे फिर से चालू कर दिया था। मार्च में जब बांसमंडी की इमारतों में आग धधकी थी लखनऊ, आगरा, प्रयागराज से हाइड्रॉलिक प्लेटफार्म गाड़ी मंगाई गई थीं।
सीएफओ दीपक शर्मा ने बताया था कि हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म को ठीक कराने के लिए लगातार प्रयास जारी था। बीती 17 जुलाई को गाड़ी को डीजी फायर के आदेश पर लखनऊ भेजा गया था। वहीं इटली से आए इंजीनियरों ने इसकी मरम्मत की।
इसे दोबारा से चालू करने में करीब 30 लाख रुपये का खर्चा आया था। पिछले ट्रायल के बाद हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म को कानपुर की टीम को सौंप दिया गया। लेकिन कुछ तकनीकी के कारण वह फिर से डिस्टर्ब है। इसकी सूचना इटली के इंजीनियरों को दे दी गई है।
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2015 में इटली से आई, गाड़ी 2019 तक ही चली
हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मशीन को सात करोड़ रुपये में 16 जनवरी 2015 को अग्निशमन विभाग ने शहर के लिए मंगाया था। इसे फजलगंज फायर स्टेशन में तैनात किया गया था। हाईटेक दमकल गाड़ी में पानी भरने की सुविधा नहीं है, बल्कि हौज पाइप से जोड़कर इससे बहुमंजिला इमारतों की आग बुझाई जा सकती है।
इसकी सीढ़ी बूम की मदद से 135 फुट तक जाकर आग बुझाने और ऊंचाई पर फंसे लोगों को निकालने में खासतौर पर काम आती है। दमकल अफसरों की उदासीनता ही कहेंगे कि यह मशीन होते हुए भी बांसमंडी अग्निकांड में आग बुझाने के काम नहीं आई। बांसमंडी अग्निकांड के बाद इसके महत्व का पता चला। इटली के इंजीनियरों से नियुक्ति लेकर इसे दुरुस्त कराया गया। आखिरी बार इसका प्रयोग वर्ष 2019 में किया गया था।
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