नक्सली नासूर

छत्तीसगढ़ मेंं सरकार बदलने के बाद नक्सली बौखलाए हुए हैं। नक्सली हताशा में हिंसा करते हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाकर्मियों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक उप-निरीक्षक की मौत हो गई और एक कांस्टेबल घायल हो गया। यह वारदात उस समय हुई जब बेदरे कैंप से जवान बाजार की तरफ सर्चिंग के लिए निकले थे, इसी दौरान घात लगाए नक्सलियों ने हमला कर दिया।
इस घटना के साथ, राज्य के बस्तर संभाग में विभिन्न नक्सली घटनाओं में इस महीने अब तक तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो चुकी है और सात अन्य घायल हो गए हैं। 14 दिसंबर को कांकेर जिले में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का एक जवान शहीद हो गया था, जबकि 13 दिसंबर को नारायणपुर जिले में नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) का एक जवान मारा गया था।
रविवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में नक्सल विरोधी अभियान में तेजी लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा हम (नक्सल प्रभावित इलाकों में) विकास के जरिए लोगों का विश्वास जीतेंगे। हम केंद्र के सहयोग से नक्सलवाद को खत्म करेंगे। छत्तीसगढ़ में आठ जिले बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगाव और कोंडागांव नक्सल प्रभावित हैं।
सुरक्षा बल जब भी नक्सलियों को पकड़ने जाते हैं तो ये नक्सली उन पर हमला कर कर देते हैं। वास्तव में नक्सली समस्या केवल छत्तीसगढ़ जैसे एक राज्य की नहीं पूरे राष्ट्र की समस्या है। भारत के 12 राज्यों के 220 जिलों में नक्सली फैल चुके हैं। संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र का 40 प्रतिशत क्षेत्र नक्सल ग्रसित है अर्थात 92 हजार वर्ग किलोमीटर। वहीं छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशक से नक्सली समस्या का शिकंजा में कसता जा रहा है।
हालांकि सरकार नक्सलवाद से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपना रही है। इसमें सुरक्षा एवं विकास से संबंधित उपाय तथा आदिवासी एवं अन्य कमज़ोर वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने से संबंधित उपाय शामिल हैं। सरकार प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, कौशल विकास, शिक्षा, ऊर्जा और डिजिटल संपर्कता का यथासंभव विस्तार करने के भी प्रयास कर रही है।
ऑपरेशन ‘समाधान’ देश में नक्सली समस्या को हल करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है। हिंसा का रास्ता छोड़कर समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिये सरकार पुनर्वास की भी व्यवस्था करती है। फिर भी छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों में गुणात्मक बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि सुरक्षा बलों के साथ होने वाली किसी भी मुठभेड़ में बल की हानि नक्सलियों के इरादों को मजबूत करती है।