बरेली: प्रधानमंत्री आवास में गड़बड़ी पर ग्राम विकास अधिकारी निलंबित

अपात्र होने के बावजूद कागजों में पात्र बनाकर सचिव ने जारी की थीं दो किश्तें, बीडीओ की जांच में दोषीं मिलीं सचिव को कार्यवाहक डीडीओ ने किया निलंबित

बरेली: प्रधानमंत्री आवास में गड़बड़ी पर ग्राम विकास अधिकारी निलंबित

बरेली, अमृत विचार : सरकार की महत्वाकांक्षी याेजनाओं में भी अफसर भ्रष्टाचार का खेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अपात्र होने के बावजूद कागजों में पात्र बनाकर प्रधानमंत्री आवास की दो किस्तें जारी करने पर ग्राम विकास अधिकारी (सचिव) संगीता को कार्यवाहक डीडीओ तेजवंत सिंह ने निलंबित कर दिया है।

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मामला भदपुरा ब्लॉक के मधुनगला गांव का है। गांव निवासी विक्रम सिंह ने अफसरों से शिकायत की थी कि प्रधान और उसके भाई ने प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए पैसे खाते में यह कहकर डलवा लिए थे कि निर्माण की सामग्री वे उपलब्ध करा देंगे, लेकिन आठ फरवरी को 40 हजार, पांच अप्रैल को 10100 और 49900 रुपये लेने के बाद भी सामग्री नहीं दी।

कार्यवाहक डीडीओ/पीडी डीआरडीए तेजवंत सिंह ने मामले में जांच कराई थी। जांच में मामला सही पाया गया। बीडीओ भगवानदास की जांच में पाया गया कि जिस व्यक्ति को पात्रता की सूची में शामिल किया गया, वह पात्र था नहीं। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने उसे पात्र बनाकर आवास की पहली और दूसरी किश्त जारी कर दी।

बीडीओ की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि विक्रम ने दो लाख 94 हजार का आवास भी खरीदा है, ऐसे में वह पात्र कैसे हो सकता है। कार्यवाहक डीडीओ तेजवंत सिंह ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी संगीता को निलंबित करने की कार्रवाई की गई है। अपात्र के खाते में गई रकम को सरकारी खजाने में वापस कराने की कार्रवाई की गई है।

बीडीओ ने पहले बताया पात्र...फिर कैसे हुआ अपात्र: 20 सितंबर को विक्रम की शिकायत पर पहले जेई लघु सिंचाई, एडीओ कृषि और एडीओ पंचायत समेत तीन सदस्यीय टीम बनाकर जांच कराई गई। बाद में बीडीओ से भी जांच हुई। सूत्रों की माने तो जांच में पता चला था कि योजना की पात्रता सूची में विक्रम का नाम आने के बाद वीडीओ, प्रधान और ब्लॉक के बाबू की साठगांठ से उसे किसी दूसरी जगह खड़े करके फोटो कराई गई।

फर्जीवाड़ा करके जियो टैगिंग की गई। प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद वीडीओ संगीता देवी और ब्लॉक के बाबू के डिजिटल हस्ताक्षर किए गए, फिर डोंगल से पहले 40 हजार और दूसरी बार 70 हजार का भुगतान कर दिया गया था।

पहले कार्यवाहक डीडीओ तेजवंत सिंह ने भी माना था कि पैसा लाभार्थी के खाते में डलवा दिया गया है। वहीं, बीडीओ भगवानदास ने लाभार्थी के आवास का निर्माण कराना अपनी प्राथमिकता बताई थी, लेकिन बाद में वही लाभार्थी अपात्र हो गया, यह बात गले से नहीं उतर रही है।

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