मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर राज्यसभा में गतिरोध बरकरार, कार्यवाही दो बजे तक स्थगित

मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर राज्यसभा में गतिरोध बरकरार, कार्यवाही दो बजे तक स्थगित

नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर बृहस्पतिवार को भी राज्यसभा में गतिरोध दूर नहीं हो सका और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 35 मिनट बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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विपक्षी दलों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव (नियम 267) के तहत चर्चा आरंभ कराने की अपनी जिद से पीछे हटते हुए नियम 167 के अंतर्गत चर्चा शुरु कराने का प्रस्ताव दिया और मांग की कि प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी सदन में मौजूद हों। हालांकि सत्ता पक्ष इसके लिए तैयार नहीं दिखा। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने के लिए नियम 267, नियम 176 और 167 के तहत नोटिस मिले हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बार नियम 167 के तहत मणिपुर पर चर्चा का नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि मणिपुर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर गतिरोध दूर करने में यह नियम विकल्प बन सकता है। उन्होंने इस बारे में सदस्यों से उनकी राय मांगी।

सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष के चार वरिष्ठ नेताओं ने उनसे संपर्क किया था जिसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कमरे में विपक्षी नेताओं से मुलाकात हुई और गतिरोध दूर करने को लेकर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग की जिसे उन्होंने और बैठक में मौजूद संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने ठुकरा दिया।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरूची शिवा ने कहा कि जब दोनों पक्ष अड़े हैं तो नियम 167 के तहत चर्चा शुरु की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘आप चाहें तो अभी चर्चा शुरु करें। हम तैयार हैं।’’ विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि गोयल से विपक्षी नेताओं की मुलाकात हुई थी। उन्होंने कहा, ‘‘वे (सत्ता पक्ष) चाहते थे कि नियम 176 के तहत चर्चा हो जबकि हम नियम 267 के तहत चर्चा चाहते हैं।

बीच का रास्ता निकालने के लिए हमने नियम 167 के तहत चर्चा कराने का प्रस्ताव दिया।’’ खरगे ने कहा, ‘‘अब इसमें दिक्कत क्या है। नियम 167 के तहत चर्चा होने दें। प्रधानमंत्री को आने दो। हम अपना विषय रखेंगे।’’ इसी समय सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा और शोरगुल आरंभ कर दिया। हंगामा होता देख, खरगे ने सत्ता पक्ष के सदस्यों से कहा, ‘‘ वह परमात्मा हैं क्या...? कोई भगवान तो नहीं हैं...।’’

हंगामा बढ़ता देख सभापति ने सदन की कार्यवाही 11 बज कर करीब 35 मिनट पर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। सत्ता पक्ष नियम 176 के तहत चर्चा पर अड़ा रहा जबकि विपक्ष के एक कदम पीछे खींच लिया। 

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