मणिपुर में 56 - 56 इंच सीने वाली डबल इंजन की सरकार, दो महीने से राज्य के शोषित, वंचित और गरीबों को रौंदा जा रहा है पैरों तले: JDU

मणिपुर में 56 - 56 इंच सीने वाली डबल इंजन की सरकार, दो महीने से राज्य के शोषित, वंचित और गरीबों को रौंदा जा रहा है पैरों तले: JDU

पटना। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने केंद्र और मणिपुर की भाजपा सरकार पर प्रहार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि डबल इंजन सरकार होने के बावजूद यह पूर्वोत्तर राज्य दो महीने से अधिक समय से जल रहा है। वायरल हो रहे मणिपुर के एक वीडियो को लेकर जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने कहा कि यह इस देश की मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना है ।

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वीडियो में नजर आ रहा है कि भीड़ ने दो आदिवासी महिलाओं को नग्न घुमाया और उनके साथ छेड़छाड़ की। सिंह ने ट्वीट किया, " मणिपुर में 56 - 56 इंच सीने वाली डबल इंजन की सरकार की छत्रछाया में राज्य के शोषित, वंचित और गरीब तबके को पैरों तले रौंदा जा रहा है। महिलाओं पर अत्याचार की सारी हदें लांघ दी गई हैं, फिर भी देश के 56 इंच सीने वाले तथाकथित शेर चुप बैठे हैं, आखिर क्यों ?"

उन्होंने कहा, "मणिपुर की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। पता नहीं आदरणीय प्रधानमंत्री जी को मानवता के प्रति संवेदना है भी या नहीं...! विदेशों में जाकर अपना जयकारा लगवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को देश में महिलाओं के साथ हो रहा घोर अत्याचार क्यों नहीं दिखता है ? डबल इंजन की सरकार वाले राज्य में महिलाओं के साथ शर्मसार करने वाली इस घटना पर अब तो मौनव्रत तोड़िए साहब ।’’

चार मई का एक वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद मणिपुर की पहाड़ियों में तनाव बढ़ गया, जिसमें एक समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष के कुछ पुरुषों द्वारा नग्न परेड करते हुए दिखाया गया है। कथित मास्टरमाइंड को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी मणिपुर संकट से निपटने में कथित विफलता के लिए केंद्र पर हमला किया।

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है, वह कुछ नहीं कर रही है।" तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 150 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं।

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। इन जनजातियों में नागा और कुकी शामिल हैं। 

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