शिमला: चंद्रताल से पर्यटकों को निकालने गया हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण वापस लौटा 

शिमला: चंद्रताल से पर्यटकों को निकालने गया हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण वापस लौटा 

शिमला। हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में चंद्रताल झील क्षेत्र में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए भेजे गए भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर को खराब मौसम के कारण वापस लौटना पड़ा। राज्य की कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सतवंत अटवाल ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सतवंत अटवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ जैसे ही बादल छंटेंगे, फंसे हुए पर्यटकों को बचाने का पुनः प्रयास किया जाएगा। ’’

ये भी पढ़ें - बिहार: विधानमंडल के दोनों सदनों में भाजपा सदस्यों ने किया हंगामा, सदन की कार्यवाही स्थगित

हेलीकॉप्टर ने दोपहर करीब 12 बजे भुंतर से पहली उड़ान भरी, लेकिन खराब मौसम और घने बादलों के कारण उसे वापस लौटना पड़ा। अटवाल ने फंसे हुए लोगों से हौसला बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। डीजीपी ने लोगों से अफवाहें न फैलाने की अपील करते हुए कहा, ‘‘ हम आप तक पहुंच रहे हैं। सभी सरकारी एजेंसियां लोगों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।’’

चंद्रताल झील क्षेत्र में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए भारतीय वायु सेना के एक हेलीकॉप्टर को बुलाया गया था जबकि काजा से एक बचाव दल कुंजुम दर्रा पहुंच गया है तथा वह झील से महज आठ किलोमीटर दूर है। प्रधान सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

जिले में भारी बारिश और हिमपात के बाद 14,100 फुट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रताल में शिविरों में करीब 300 लोग फंस गए हैं जिनमें से ज्यादातर पर्यटक हैं। ओंकार चंद शर्मा ने कहा, ‘‘उनमें से दो को अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही है तथा उन्हें हवाई मार्ग से निकाला जाएगा।’’

उन्होंने बताया कि वहां फंसे सभी लोगों को मंगलवार रात तक सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सोमवार को पर्वतीय राज्य में विभिन्न स्थानों से करीब 100 लोगों को बचाया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, लाहौल के चंद्रताल और पागल नाला तथा मंडी के विभिन्न हिस्सों में अब भी करीब 800 लोग फंसे हुए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि लोसर तथा काजा की तरफ से सड़क मरम्मत के लिए दो दलों को भेजा गया है। दल में प्रशासन, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के सदस्य, पुलिसकर्मी तथा स्थानीय ग्रामीण शामिल हैं। शर्मा ने बताया कि 24 जून को मानसून आने के बाद से राज्य में 780 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और सड़कों, पुलों तथा जल आपूर्ति व्यवस्था को हुए नुकसान के कारण यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि राज्य में मानसून के कारण होने वाली घटनाओं में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य आपात अभियान केंद्र के अनुसार पिछले तीन दिन से भारी बारिश के कारण शिमला-कालका और मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 1,239 सड़कें अवरुद्ध हो गयी हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि हिमाचल रोडवेज परिवहन निगम (एचआरटीसी) के 1,416 मार्गों पर बस सेवाएं निलंबित हैं जबकि 679 बसों को रास्ते में रोका गया है।

शिमला और मनाली समेत राज्य के कई इलाकों में आवश्यक सामान की आपूर्ति बाधित है। भूस्खलन, सड़कों के धंसने और बाढ़ के कारण चंडीगढ़-मनाली और शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हैं। कुल्लू और मनाली में 2,577 ट्रांसफार्मर बंद होने के कारण कई इलाकों में बिजली गुल है जबकि शिमला समेत कई इलाकों में जलापूर्ति भी बाधित है। राज्य की राजधानी शिमला सहित कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हुई।

भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध होने से मनाली शहर और उसके आसपास के इलाकों का संपर्क राज्य के बाकी हिस्सों से टूट गया है। मोबाइल कनेक्टिविटी पर भी असर पड़ा है। कुल्लू के उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया कि सोमवार शाम से बारिश रुक गयी है और नदियों में जल स्तर कम होने के कारण बचाव अभियान तथा सड़कों की मरम्मत के काम ने गति पकड़ ली है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि मनाली में आज मोबाइल नेटवर्क काम करना शुरू कर देगा।’’ गर्ग ने बताया कि मनाली, कसोल और पार्वती घाटी में सड़क संपर्क बहाल करने के लिए कर्मियों तथा मशीनों को तैनात किया गया है तथा मनाली रोड पर जल्द ही हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि कुल्लू और मनाली में राहत शिविर लगाए गए हैं और वहां फंसे लोगों की देखभाल की जा रही है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज कुल्लू, लाहौल और स्पीति तथा मंडी का दौरा करेंगे और प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। सोलन के उपनगर शामती में भूस्खलन से दो मकानों तथा एक कार्यालय को नुकसान पहुंचने की भी खबरें हैं। इस बीच, भारी बारिश के कारण अत्यधिक क्षति होने के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने अपने मानसून और ग्रीष्मकालीन अवकाश में फेरबदल करने का निर्णय लिया है।

उच्च शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक अभूतपूर्व बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से सड़कों के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। प्रतिकूल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और छात्रों तथा कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मानसून अवकाश को पुनर्निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में 15,000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 65 प्रतिशत गर्मियों में और 35 प्रतिशत सर्दियों में बंद होने वाले स्कूल हैं।

आदेश के अनुसार, कुल्लू जिले में 23 दिन का मानसून अवकाश 23 जुलाई से 14 अगस्त की बजाय 10 जुलाई से एक अगस्त तक कर दिया गया है। लाहौल और स्पीति जिले में 42 दिवसीय ग्रीष्मकालीन अवकाश अब 17 जुलाई से 27 अगस्त के स्थान पर 10 जुलाई से 20 अगस्त तक किया गया है।

इस बीच, सिरमौर, शिमला, मंडी और किन्नौर जिलों के कुछ हिस्सों में मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश हुई। नाहन में सर्वाधिक 250 मिमी बारिश हुई, इसके बाद धौलाकुआं (138.5 मिमी), जुब्बरहट्टी (90 मिमी), कुफरी (67 मिमी), नारकंडा (65 मिमी), शिमला (64 मिमी), मशोबरा (60.5 मिमी), कल्पा (48 मिमी), रिकांग पिओ (42 मिमी), मंडी (46 मिमी) और सुंदरनगर में (45 मिमी) बारिश हुई।

ये भी पढ़ें - ओडिशा: नवीन पटनायक ने कहा- आदिवासियों को मिलेगा वन भूमि पर रहने का अधिकार

ताजा समाचार