रायबरेली : दो साल से बंद है कूड़ा प्लांट, गंदगी से संक्रामक रोग का बढ़ा खतरा
एक साल पहले प्लांट संचालक पर हो चुकी कार्रवाई, लंबित चयन की नई प्रक्रिया
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रायबरेली, अमृत विचार। कूड़ा निस्तारण प्लांट दो साल से बंद है। नगर पालिका परिषद की ओर से हर दिन कूड़ा उठवाया जा रहा है। सफाई के नाम गंदगी को प्लांट के बजाय सड़क के किनारे फेंक दिया जाता है। शहर से नजदीक होने के कारण संक्रमण का खतरा बना हुआ है। वहीं जिम्मेदार पूरी तरह से मौन हैं।
शहर को स्वच्छ रखने के लिए करीब 10 साल पहले कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाया गया। इससे उम्मीद जगी कि अब कूड़े-कचरे से निजात मिल जाएगी। इसके लिए 30 साल का अनुबंध किया गया, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहराई तक पहुंच गई कि आए दिन किसी न किसी कारण से प्लांट की मशीनें बंद होने लगीं। पिछले दो साल से प्लांट बंद है। नगर पालिका कर्मियों द्वारा पहले प्लांट के आसपास कूड़ा फेंका गया। जगह नहीं बची तो अब शहर से कुछ दूरी हटकर खाली मैदान तो कहीं पर सड़क के किनारे फेंक दिया जाता है। इसके चलते लोगों का सांस लेना मुश्किल है।
प्लांट निर्माण में खर्च हुए थे सात करोड़
इस प्लांट को स्थापित करने में करीब सात करोड़ रुपये खर्च हुए। 30 साल के अनुबंध वाली फर्म 10 साल भी नहीं टिक सकी। दो साल से सभी मशीनें बंद हैं। आसपास कूड़े का ढेर लगा हुआ है। इससे कूड़े का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। हर तरफ गंदगी फैली हुई है। बारिश में अब सड़ने लगा है।
कूड़ा निस्तारण की कार्ययोजना -
वार्ड की संख्या -- 34
जनसंख्या -- 2.25 लाख
परियोजना का नाम -- सालिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना
परियोजना की लागत -- 7.37 करोड़
उपलब्ध भूमि -- 9.50 एकड़
अनुबंध अवधि -- 30 साल
प्लांट में स्थापित मशीन -- 12
प्रतिदिन उत्पन्न कचरा-- 60 से 70 मीट्रिक टन
प्लांट में लगा जैविक खाद का ढेर, नहीं मिल रहे खरीदार
इस प्लांट का उद्देश्य कूड़े का निस्तारण कर दोबारा उपयोग में लाना था। कूड़े से जैविक खाद बनाई जानी थी। इसे किसानों को मुफ्त देने का प्रावधान था। इसके लिए सिर्फ आधार और खतौनी ही देना था। शुरुआती दौर में मशीन चली और खाद भी बनी, लेकिन बाद में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। वर्तमान में जैविक खाद को लेकर अनुबंध भी समाप्त हो चुका है। परिसर में खाद का ढ़ेर लगा हुआ है।
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