स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट को लेकर बखेड़ा, मेयर ने अफसरों के खिलाफ खोला मोर्चा

बरेली, अमृत विचार। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में अपनी अनदेखी होने से माननीय खफा हैं। मेयर डॉ. उमेश गौतम ने अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। शहर विधायक भी खफा हैं। तीन दिनों तक चले प्रेजेंटेशन में किसी जनप्रतिनिधि को न बुलाने से स्मार्ट सिटी के 180 करोड़ के इंटीग्रेटेड कमांड एंड …
बरेली, अमृत विचार। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में अपनी अनदेखी होने से माननीय खफा हैं। मेयर डॉ. उमेश गौतम ने अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। शहर विधायक भी खफा हैं। तीन दिनों तक चले प्रेजेंटेशन में किसी जनप्रतिनिधि को न बुलाने से स्मार्ट सिटी के 180 करोड़ के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आई ट्रिपल सी) प्रोजेक्ट की निविदा पर टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है।
केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी योजना में जनप्रतिनिधियों से तालमेल न होने के कारण कंपनियों के साथ हुई प्रेजेंटेशन में अधिकारियों ने ही उनके प्रोजेक्टों को समझा और अपने सुझाव दिए। जबकि एक भी जनप्रतिनिधि को इस प्रेजेंटेशन में बुलाया नहीं गया। इसके कारण उनके सुझाव नहीं लिए जा सके, जबकि नियम है कि जनप्रतिनिधियों को प्रोजेक्ट दिखाकर सुझाव लिया जाना चाहिए।
यही वजह है कि करीब दो हजार करोड़ के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अपनी अनदेखी को लेकर माननीयों के भीतर अफसरों के प्रति काफी गुस्सा है। कुछ दिन पहले ही प्रोजेक्ट मैनेजर सतीश कुमार की नियुक्ति का मामला सुर्खियों में रहा। इसके कारण टकराव हुआ और आखिरी वक्त में कई प्रोजेक्ट निरस्त हो गए। इस बार 180 करोड़ के आईट्रिपल सी प्रोजेक्ट जनप्रतिनिधियों की नजर में हैं।
विभागीय सूत्रों की बातों पर गौर किया जाए तो अधिकारियों ने तीन कंपनियों के बीच प्रेजेंटेशन कर उनमें से एक कंपनी के नाम निविदा जारी करने की तैयारी की है। इस पर जनप्रतिनिधि भी विरोध करने का मौका तलाश रहे हैं। अधिकारी टेंडर की घोषणा करते हैं, उधर कंपनियों की कार्यशैली को लेकर आपत्ति लग सकती है। यहां तक कि तीन कंपनियों ने एक जैसे प्रोजेक्ट दिखाए जो मिल जुलकर तैयार किए गए हैं।
प्रेजेंटेशन के बाद एक कंपनी चुनने के लिए निविदा अभिलेख तैयार किए गए। पिछले प्रोजेक्टों में जनप्रतिनिधियों का सहयोग न लेने पर भी नाराजगी थी। प्रोजेक्टों में कमियां मिलने पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, शहर विधायक डॉ. अरुण कुमार से लेकर मेयर डा. उमेश गौतम तक ने आपत्ति लगाई थी। इसके चलते इस बार भी प्रबल संभावना है कि दो दिन बाद खुलने वाली निविदा में पेंच फंस सकता है।