हल्द्वानी: बुनकरों ने गांधी आश्रम को चरखे लौटाए

सब्सिडी और कच्चा माल नहीं मिलने के कारण वापस किए चरखे

हल्द्वानी: बुनकरों ने गांधी आश्रम को चरखे लौटाए

03 साल में आय कम होने के कारण 800 बुनकरों ने छोड़ा काम  600 बुनकर ही कर रहे हल्द्वानी, यूएस नगर के गांधी आश्रमों में काम

हल्द्वानी, अमृत विचार। गांधी आश्रम का कामकाज इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहा है। एक तरफ सरकार से तीन साल से सब्सिडी नहीं मिली है वहीं कच्चे माल की कमी से यहां के उत्पादों की डिमांड भी काफी कम हो गई है। स्थिति यह है कि कोरोना काल से अब तक करीब 800 कातिन व बुनकर काम छोड़ चुके हैं। वहीं बीते एक साल में चरखे वापस करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। 

नैनीताल और ऊधमसिंह नगर क्षेत्र में गांधी आश्रम के दो क्षेत्रीय कार्यालय है। इनके अंतर्गत 27 आश्रम (दुकानें) आती हैं। दोनों क्षेत्रों में कोरोना से पहले तक करीब 1400 कातिन-बुनकर काम करते थे। लेकिन काम नहीं मिलने से पिछले तीन साल में करीब 800 कातिन-बुनकर काम छोड़ चुके हैं। हाल ही में 12 बुनकरों ने अपने चरखे भी हल्द्वानी क्षेत्रीय कार्यालय में वापस कर दिए हैं। इस कारण खादी वस्त्रों का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। 

 
इतनी मिलती है सब्सिडी

खादी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 15 प्रतिशत और राज्य सरकार 10 प्रतिशत सब्सिडी देती है। राज्य सरकार से पिछले तीन साल से सब्सिडी के करीब 1.20 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं। इस वजह से कच्चा माल मंगाने के साथ उत्पाद तैयार करने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में कातिन-बुनकरों को काम नहीं मिल पा रहा है।

 
आय काम होने के कारण छोड़ा काम

गांधी आश्रम पिछले कुछ साल से लगातार घाटे में चल रहे हैं। इस कारण कई कातिन-बुनकरों ने काम छोड़ दिया है। पहले बुनकर धागा बनाकर लाते हैं और इसके बदले उन्हें 150 रुपये के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। इतने पैसों में परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है। इस वजह से भी बुनकर लगातार काम छोड़ रहे हैं।


सब्सिडी नहीं मिलने से कच्चा माल खरीदने में दिक्कत हो रही है। जिस वजह से कातिन व बुनकरों के पास काम नहीं है। इसलिए वह चरखे वापस कर रहे है। 
- अभय कुमार वर्मा, प्रभारी  गांधी  आश्रम, हल्द्वानी