बरेली : आवास विकास परिषद की परियोजनाओं में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की भरमार, राजेंद्र नगर में सबसे ज्यादा नोटिस

अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी और पुलिस फोर्स न मिलने को बताया जा रहा कारण

बरेली : आवास विकास परिषद की परियोजनाओं में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की भरमार, राजेंद्र नगर में सबसे ज्यादा नोटिस

फिलहाल एक ही अधिशासी अभियंता पर है बरेली और मुरादाबाद मंडल का कार्यभार

बरेली, अमृत विचार। आवास विकास परिषद अपनी आवासीय परियोजनाओं के लगातार अवैध निर्माण और अतिक्रमण का शिकार होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। हालत यह है कि विभाग की ओर से पिछले करीब साल भर में दो सौ से ज्यादा नोटिस जारी किए गए हैं लेकिन उन पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। अफसरों ने इसके लिए स्टाफ की कमी और मदद के लिए पुलिस फोर्स न मिलने को कारण बताकर चुप्पी साध ली है।

शहर में आवास विकास की चार बड़ी आवासीय परियोजनाएं हैं। चारों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण हो चुके हैं। इनमें राजेंद्रनगर परियोजना सबसे ज्यादा अवैध निर्माण की शिकार हुई हैं जहां ज्यादातर आवासों में तोड़फोड़ कर उन्हें व्यावसायिक इमारतों में तब्दील कर दिया गया है। विभाग काफी समय से नोटिस तो जारी करता रहा है लेकिन अब तक कार्रवाई एक भी मामले में नहीं हुई है। विभाग की लाचारी की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक साल में दो सौ से ज्यादा नोटिस जारी हुए हैं जो अब तक लंबित हैं। विभाग इनमें से एक भी केस में न अवैध निर्माण को ध्वस्त कर पाया है न उसकी कपाउंडिंग करा पाया है।

हालांकि विभाग में कर्मचारियों और अफसरों की कमी भी इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है। नई योजनाएं और आय न होने के कारण मुख्यालय से स्टाफ की तैनाती नहीं हो रही है। इसके बजाय कर्मचारी लगातार रिटायर होते जा रहे हैं। हालत यह है कि एक अधिशासी अभियंता पर बरेली मंडल के चार जिलों के साथ मुरादाबाद का भी चार्ज है। लिहाजा आवास विकास परिषद बस कागजी खानापूरी में सिमटकर रह गई है।

परसाखेड़ा परियोजना से दिन बदलने की उम्मीद
आवास विकास परिषद की ओर से परसाखेड़ा में नई परियोजना शुरू करने की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि यह परियोजना शुरू होने के बाद बरेली में इस विभाग के अच्छे दिन फिर वापस आ सकते हैं। इस परियोजना को धंतिया और ट्यूलिया गांव की डेढ़ सौ एकड़ जमीन पर विकसित किया जाना है। किसानों की भी सहमति मिल चुकी है। कई सालों बाद शुरू होने जा रही इस परियोजना से काफी उम्मीद जताई जा रही है। इसमें विभाग किसानों को जमीन की कीमत के बजाय उसे विकसित करने के बाद एक-चौथाई हिस्से का भागीदार बनाएगा। किसान इच्छानुसार उसे बेच सकते हैं या अपने उपयोग में भी ला सकते हैं।

40 सालों में कोई बड़ी परियोजना नहीं
आवास विकास परिषद की शहर में वर्ष 1981 में बसाई गई राजेंद्रनगर परियोजना -2 सबसे बड़ी परियोजना मानी जाती है। इसके बाद 1982 में सिविल लाइंस योजना-4 और 1983 में गांधीनगर परियोजना- 1 बसाई गई थी। इससे पहले 1977 में जनकपुरी योजना -3 बसाई गई थी। इसके बाद पिछले 40 सालों में परिषद की ओर से कोई बड़ी परियोजना का निर्माण नहीं किया गया। अब जरूर परसाखेड़ा में परियोजना की शुरुआत करने की तैयारी है।
वर्जन

परसाखेड़ा योजना आने के बाद विभाग में कुछ अफसर और कर्मचारी बढ़ने की उम्मीद है। अवैध निर्माण के मामलों में करीब दो सौ नोटिस जारी हो चुके हैं। फोर्स की अनुपलब्धता से इसमें कार्रवाई नहीं हो पा रही है। कर्मचारियों और अफसरों की कमी का भी असर पड़ रहा है। -नवीन कुमार वर्मा, अधिशासी अभियंता आवास विकास परिषद

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