राज्य सभा में तीसरे दिन भी नहीं हो सका कोई कामकाज

नई दिल्ली। अमेरिकी रिसर्च कम्पनी हिंडनबर्ग की अडानी समूह को लेकर आई रिपोर्ट पर चर्चा कराने की मांग को लेकर राज्य सभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को भी हंगामा जारी रखा जिसके कारण बजट सत्र में लगातार तीसरे दिन कोई कामकाज नहीं हो सका।
पूर्वाह्न ग्यारह बजे सदन की बैठक शुरू होने और आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखे जाने के बाद विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी थी। इसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदस्यों का रवैया गैर-जिम्मेदाराना है।
सभापति कुछ बोलने वाले ही थी कि विपक्षी सदस्यों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया जिसके कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह में कार्यवाही शुरू होने पर धनखड़ ने कहा कि नियम 267 के तहत उन्हें 10 नोटिस मिले हैं, लेकिन नियम के अनुकूल नहीं होने के कारण उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वह नियम के प्रति प्रतिबद्ध हैं, इसलिए वह इन नोटिसों को स्वीकार नहीं कर सकते।
इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों, शिवसेना, आम आदमी पार्टी तथा कई अन्य दलों के सदस्य अपनी-अपनी सीट के निकट खड़े होकर एकसाथ जोर-जोर से बोलने लगे। सदस्यों ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की अनुमति देने की भी मांग की।
नोटिस देने वाले प्रमुख सदस्यों में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रमोद तिवारी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विश्वम, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एलामारम करीम, तेलंगाना राष्ट्र समिति के के केशव राव, द्रमुक के तिरुची शिवा शामिल थे। इसी दौरान श्री धनखड़ ने कहा कि यह ऊपरी सदन है। देश के लोग नियम के अनुसार राज्य सभा की कार्यवाही चलने देना चाहते हैं। देश के लोगों के शांति से चर्चा की आकांक्षा पर हम खरे नहीं उतर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सदस्यों ने जो समय गंवाया है, उस दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये जा सकते थे। इसके बाद विपक्षी दलों के सदस्य फिर से अपनी-अपनी सीट के निकट खड़े हो गये और शोरगुल करने लगे। सभापति ने कहा कि सदन व्यवस्थित नहीं है, इसलिए कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।
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