बिहार के मजदूर का बेटा जो राष्ट्रपति बना… जानिए प्रवासी भारतीय समारोह के मुख्य अतिथि चंद्रिका प्रसाद के बारे में

बिहार के मजदूर का बेटा जो राष्ट्रपति बना… जानिए प्रवासी भारतीय समारोह के मुख्य अतिथि चंद्रिका प्रसाद के बारे में

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में चल रहे 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दूसरे दिन यानी सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचेंगे। वह प्रवासी भारतीयों को सम्बोधित करेंगे। इस समारोह के मुख्य अतिथि सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी होंगे। वह समारोह को सम्बोधित करने के साथ पीएम मोदी के साथ बैठक भी करेंगे। चंद्रिका प्रसाद पिछले साल ही सूरीनाम के राष्ट्रपति चुने गए हैं। पीएम मोदी ने मन की बात में भी इनका जिक्र ऐसे भारतवंशी के तौर पर किया था जो विदेश में रहकर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।

पिछले साल प्रवासी दिवस पर उन्होंने आयोजन को वर्चुअली सम्बोधित किया था। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भारतीयों से का हाल बा कहकर की थी, जिसने भारतीयों का दिल जीत लिया था।

3 फरवरी, 1959 को सूरीनाम के लेलीडॉर्प में जन्मे चंद्रिका प्रसाद संतोखी की पिछली पीढ़ियां बिहार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता बिहार से मजदूर के रूप में यहां आए और बंदरगाह पर काम करना शुरू किया। मां एक दुकान पर काम करती थीं। उनके नौ भाइयों-बहन हैं। 1978 में संतोखी को नीदरलैंड के एपेलडॉर्न में नीदरलैंड्स पोलिटिया एकेडेमी में अध्ययन करने के लिए स्कॉलरशिप मिली। 1982 में एप्लाइड रिसर्च में ग्रेजुएशन किया। नीदरलैंड्स की पुलिस एकेडमी में चार साल तक ट्रेनिंग ली। 1982 में सूरीनाम वाापस लौटे और पुलिस विभाग में काम शुरू किया।

1989 में उन्हें को राष्ट्रीय आपराधिक जांच विभाग का निदेशक बनाया गया और दो साल बाद 1991 में पुलिस विभाग के मुख्य आयुक्त बने। 2005 में न्याय और पुलिस मंत्री के रूप में काम किया और 2011 में उन्होंने प्रगतिशील सुधार पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला। 19 जुलाई 2020 को उनकी शादी हुई।

संस्कृत में शपथ ली
पिछले साल जुलाई में नेशनल एसेंबली ने पूर्व न्याय मंत्री और प्रोग्रेसिव रिफार्म पार्टी (पीआरपी) के नेता रहे संतोखी निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए। चंद्रिका प्रसाद संतोखी जब लेटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चुने गए तो उन्होंने संस्कृत में शपथ ली, जो दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी।

करीब 6 लाख आबादी वाले सूरीनाम में 27.4 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं। यह वहां का सबसे बड़ा समूह है। राष्ट्रपति संतोखी की पार्टी भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और इसे कभी वहां युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी के नाम से जाना जाता था।

देश को आर्थिक संकट से उबारने की चुनौती
61 वर्षीय संतोखी ऐसे देश को संभाल रहे हैं जहां की अर्थव्यवस्था उन्हें खस्ताहाल मिली है। उन्होंने पद संभालने के बाद नेशनल असेंबली में यह मुद्दा उठाया और कहा, सूरीनाम ने आर्थिक पतन का सामना किया है और अब उनकी सरकार देश को पटरी पर लाने के लिए नई नीतियां बनाएगी। सूरीनाम की अर्थव्यवस्था बॉक्साइट और तेल भंडार पर निर्भर है, लेकिन पिछले कुछ समय से देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है. संतोखी के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है।

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