समावेशी दृष्टिकोण जरूरी

बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण अनेक देशों में वास्तविक मासिक आय में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे करोड़ों घर-परिवारों की क्रय क्षमता पर असर हुआ है। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने इसकी एक बड़ी वजह यूक्रेन में जारी युद्ध और वैश्विक ऊर्जा संकट को बताया है। इससे अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के जी20 समूह में शामिल देश भी अछूते नहीं हैं।
मध्यम-वर्ग परिवारों की क्रय क्षमता में कमी आई है और निम्न-आय वाले परिवारों पर इसका असर हुआ है। बढ़ती महंगाई, लुढ़कती आय से निर्धनता व सामाजिक अशांति गहराने का खतरा बना हुआ है। यूएन एजेंसी ने सामाजिक अशांति की रोकथाम के लिए निर्धनता और असमानता दूर करने के लिए तत्काल ठोस नीतियां अपनाए जाने का आग्रह किया है। भारत में निर्धनता और असमानता व्यापक रूप से मौजूद है।
भारत में सिर्फ दस प्रतिशत लोगों के पास आधे से भी ज्यादा (57 प्रतिशत) संपत्ति है जबकि आधी आबादी सिर्फ 13 प्रतिशत संपत्ति पर गुजारा करने को मजबूर है। ‘वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2022’ ने चेताया है कि 2020 में दुनिया की कुल आय घटी है जिसमें लगभग आधी गिरावट अमीर देशों में आई है जबकि बाकी कम आय वाले और नए उभर रहे देशों में दर्ज हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक यह गिरावट दक्षिण, दक्षिण पूर्व एशिया और खासतौर पर भारत में दर्ज की गई है।
भारत का मध्य वर्ग तुलनात्मक रूप से ज्यादा गरीब है। नीति आयोग ने हाल ही में मल्टी-डायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (एमपीआई) जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हर चार में से एक भारतीय बहुआयामी तौर पर गरीब है। यदि सबसे कम आय वाले तबके की क्रय क्षमता को बरकरार नहीं रखा गया तो आय असमानता और निर्धनता बढ़ेगी। समाजशास्त्र का सिद्धांत कहता है कि असमानता सामाजिक उपद्रव का बड़ा कारण बन सकती है।
श्रम संगठन ने कामगारों और उनके परिवारों के लिए क्रय क्षमता व जीवन मानकों को बनाए रखने के लिए बेहतर ढंग से तैयार नीतिगत उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। एक अनुमान के अनुसार, इस वर्ष की पहली छमाही में जी20 समूह के संपन्न देशों में वास्तविक आय कम होकर-2.2 प्रतिशत पर पहुंची। वहीं, जी20 समूह में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वास्तविक आय 0.8 प्रतिशत बढ़ी है, जोकि वर्ष 2019 की तुलना में 2.6 प्रतिशत कम है।
वास्तविक आय में गिरावट की रोकथाम उपायों के जरिए आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोज़गार के स्तर को वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर तक लाने में मदद मिलेगी। देश में निर्धनता को कम करने के लिए अधिक गहन और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।