नेपाल से लापता लुप्तप्राय सफेद पूंछ वाला गिद्ध मिला बिहार में 

नेपाल से लापता लुप्तप्राय सफेद पूंछ वाला गिद्ध मिला बिहार में 

पटना। पड़ोसी देश नेपाल से लापता लुप्तप्राय सफेद पूंछ वाला गिद्ध इस महीने की शुरुआत में बिहार के दरभंगा जिले में मिला। नेपाली अधिकारियों ने उपग्रह टैग (पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रखने वाला टैग) लगे इस नर गिद्ध को उसकी आबादी के बारे में पता लगाने के लिए जंगल में छोड़ा था। अप्रैल में राडार से इस गिद्ध का संपर्क टूट गया था।

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यह गिद्ध आखिरी बार सितंबर में नेपाल के तनाहुन जिले में दिखा था। दरभंगा जिले के बेनीपुर में एक खेत में कमजोर हालत में बैठे इस पक्षी को 13 नवंबर को भागलपुर बर्ड रिंगिंग स्टेशन के कर्मियों ने पकड़ा था। अधिकारियों ने कहा कि इस गिद्ध का गायब होना नेपाल के वन्यजीव अधिकारियों के लिए चिंता का विषय था।

बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने कहा कि सफेद पूंछ वाले गिद्ध (जिप्स बेंगालेंसिस) को 2000 से आईयूसीएन सूची में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, क्योंकि इसकी आबादी में तेजी से गिरावट आई है। म्यांमा, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और दक्षिण वियतनाम के अलावा भारतीय उपमहाद्वीप में इस नस्ल के गिद्ध बहुत आम थे।

सफेद पूंछ वाला गिद्ध ज्यादातर जमीन पर भोजन करता है, लेकिन पेड़ों और चट्टानों में बसेरा करता है और घोंसला बनाता है और अपना अधिकांश समय उड़ान भरते हुए सड़े-गले आहार की तलाश में बिताता है। उसके घोंसले आमतौर पर जमीन से दो से 18 मीटर ऊपर होते हैं। सफेद पूंछ वाला गिद्ध मध्यम आकार का होता है।

उसकी गर्दन उजली और पीठ के निचले हिस्से के अलावा पूंछ का ऊपरी भाग सफेद होता है, जबकि बाकी शरीर काले रंग का होता है। वयस्क पक्षी किशोरों की तुलना में अधिक गहरे रंग का होता है। एक वयस्क सफेद पूंछ वाला गिद्ध 75 से 85 सेंटीमीटर लंबा होता है, जिसके पंखों की लंबाई 180 से 210 सेंटीमीटर और वजन 3.5 से 7.5 किलोग्राम तक होता है। नर और मादा पक्षी आकार में लगभग बराबर होते हैं।

गुप्ता ने कहा, “नेपाली अधिकारियों द्वारा इस गिद्ध को सुरक्षित क्षेत्र के अनुसंधान और निगरानी के लिए इकोटोन सैटेलाइट टैग और एल्युमिनियम के छल्ले के साथ जंगल में छोड़ा गया था। सितंबर में लापता हुआ यह गिद्ध अब सुरक्षित हाथों में है।”

उन्होंने कहा कि गिद्ध के लापता होने की खबर पिंजौर (हरियाणा) में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और सैंडी (इंग्लैंड) स्थित रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स के साथ साझा की गई थी। गुप्ता ने कहा कि गिद्ध को अभी दरभंगा में बर्ड रिंगिंग एंड मॉनिटरिंग स्टेशन की निगरानी में रखा गया है और कुछ दिनों के बाद इसे खुले आसमान में छोड़ दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि बचाव के बाद पता चला कि पक्षी कमजोर था, क्योंकि उसे कई दिनों से खाने को कुछ नसीब नहीं हुआ था। गुप्ता के मुताबिक, उक्त गिद्ध को तुरंत भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की गईं और अब यह सामान्य स्थिति में है। उन्होंने कहा, “गिद्ध का चिकित्सकीय परीक्षण भी किया गया। नेपाली अधिकारियों ने हमारे प्रयासों की सराहना की और उसके बारे में विवरण भी साझा किया।”

गुप्ता ने बताया कि नेपाली अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नवंबर 2021 में जंगल में छोड़े जाने के बाद गिद्ध ने नियमित डेटा ट्रांसमिशन के साथ नौ फरवरी 2022 को लगभग 55 किलोमीटर दूर सोहागी बरूवा वन्यजीव अभयारण्य (महाराजगंज, उत्तर प्रदेश) तक की यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि बाद में पक्षी ने अबुखैरेनी (तनाहू, नेपाल) के लिए लगभग 96 किलोमीटर लंबी यात्रा की और अप्रैल 2022 से डेटा संचारित नहीं किया।

इसे अंतिम बार तीन सितंबर 2022 को तनाहू के आसपास देखा गया था और तब से यह लापता था। भागलपुर बर्ड रिंगिंग स्टेशन ने इससे पहले अक्टूबर 2021 में अन्ना नाम के एक मंगोलियाई पल्लास बाज को बचाया था।

गुप्ता ने कहा, “इस बाज ने 21 सितंबर 2021 को मंगोलिया में एक पक्षी अभयारण्य से प्रवास शुरू किया था और बांग्लादेश से होते हुए 10 अक्टूबर 2021 को भारत में प्रवेश किया था। भारत में इस बाज को बिहार में सुरक्षित बचाया गया था।”

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