बरेली की फैक्ट्री में कोयले की जगह जलाते हैं पराली, किसान कमाते हैं मुनाफा
बरेली, अमृत विचार। पराली जलाकर जुर्माना भरने के बजाय किसान उसे बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। फरीदपुर तहसील के कई किसान पराली बेचकर आय प्राप्त कर रहे हैं। इस पराली को उद्यमी खरीदकर अपना बॉयलर धधका रहे हैं। इससे वे पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों की आय बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं। जिले की …
बरेली, अमृत विचार। पराली जलाकर जुर्माना भरने के बजाय किसान उसे बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। फरीदपुर तहसील के कई किसान पराली बेचकर आय प्राप्त कर रहे हैं। इस पराली को उद्यमी खरीदकर अपना बॉयलर धधका रहे हैं। इससे वे पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों की आय बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं। जिले की एक कागज फैक्ट्री ये काम कई महीनों से कर रही है। पर्यावरण में कॉर्बन को न्यूटल करने में भरपूर सहयोग कर रही है।
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लोग मूंगफली खाकर छिलका फेंक देते हैं, लेकिन इन्ही छिलकों को रजऊ औद्योगिक एरिया में कागज की फैक्ट्री चला रहे अभिनव अग्रवाल खरीदते हैं। इनका वे फैक्ट्री के बॉयलर को गर्म करने में प्रयोग करते हैं। सेंट्रल यूपी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन के बरेली के युवा प्रेसिडेंट अभिनव बताते हैं कि वातावरण में कॉर्बन की अधिकता मानव जीवन के लिए ठीक नहीं हैं। इस बात को अभी से सोच लिया जाए तो आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर होगा। फैक्ट्रियों में कोयला प्रयोग होता है।
ये वातावरण में कॉर्बन की अधिकता बढ़ाने में सहायक होता है। हमने पहले अपनी इंडस्ट्री से ही इसकी शुरुआत की। बताते हैं कि पहले फैक्ट्री के बॉयलर को गर्म करने में जहां लगभग 10 टन कोयला प्रतिदिन लगता था, अब कोयले की जगह पराली, लकड़ी की छाल, मूंगफली के छिलके ने ले ली है। ये प्रतिदिन तीन ट्रॉली लगती है। आसपास के गांव के किसान उन्हें पराली बेचते हैं। उन्हें आय हो जाती है। हमारा काम चल जाता है।
अभिनव ने बताया कि इस काम के लिए उन्होंने चार व्यक्तियों को काम पर लगा रखा है, जो केवल घूम-घूम कर किसानों से पराली जलाने के बजाय उसे बेचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। फैक्ट्री में तो लोगों को रोजगार मिला ही है। अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ों परिवार हमसे जुड़कर आय प्राप्त कर रहे हैं। अब खेती के वेस्ट सामान का उपयोग फैक्ट्री में किया जा रहा है। यदि कोई किसान गन्ने के अग्र भाग का अगोला, पराली, पेड़ों की छाल, टहनी, सूखे पत्ते जलाने के बजाय बेचना चाहे तो हम उसे खरीदेंगे। उन्होंने बताया कि बरेली में फैक्ट्री में कोयला प्रयोग बंद हो चुका है। अब यहां के उद्यमी गैस या पराली का ही प्रयोग कर रहे हैं।