बांदा: अधिवक्ताओं ने पीएम से की मांग, जिलाधिकारी को सौंपा 9 सूत्रीय ज्ञापन

बांदा: अधिवक्ताओं ने पीएम से की मांग, जिलाधिकारी को सौंपा 9 सूत्रीय ज्ञापन

बांदा, अमृत विचार। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बृजमोहन सिंह गौर व महासचिव राकेश कुमार सिंह की अगुवाई में शनिवार को प्रधानमंत्री के नाम संबोधित 9 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। अधिवक्ता संघ ने मांग की है कि किसान अधिवक्ताओं को कृषक सम्मान निधि दी जाये। आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाये साथ ही विधि …

बांदा, अमृत विचार। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बृजमोहन सिंह गौर व महासचिव राकेश कुमार सिंह की अगुवाई में शनिवार को प्रधानमंत्री के नाम संबोधित 9 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। अधिवक्ता संघ ने मांग की है कि किसान अधिवक्ताओं को कृषक सम्मान निधि दी जाये। आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाये साथ ही विधि व्यवसाय के साथ ही अन्य व्यवसाय की स्वतंत्रता दी जाये। प्रारंभिक विधि व्यवसाय की अवधि में कम से कम 500 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाये।

40 लाख से अधिक अधिवक्ता विभिन्न न्यायालयों में विधि व्यवसाय कर रहे हैं, जिनमें से तकरीबन 90 फीसद अधिवक्ता मूलरूप से किसान परिवारों से आते हैं। उनके परिवारों की आजीविका मूलरूप से कृषि उपज व उससे होने वाली आय पर निर्भर है। एडवोकेट एक्ट के प्राविधानों के द्वारा अधिवक्ता को विधि व्यवसाय से इतर अन्य व्यवसाय करने से विरत किया गया है।

एक अधिवक्ता को विधि व्यवसाय प्रारंभ करने में आवासीय, व्यावसायिक और अन्य आर्थिक अभावों का सामना करना पड़ता है और तकरीबन 10 वर्ष अधिवक्ता को न्यायालय की प्रक्रिया समझने में ही लग जाते हैं। जबकि उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता को कोर्ट ऑफीसर का दर्जा दिया है, लेकिन न्यायालय के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की तरह उसे वहां से कुछ अर्जित नहीं हो पाता है। बीमारी की हालत में उस निर्धन अधिवक्ता के पास इलाज के लिये खर्च की कोई व्यवस्था नहीं है।

जिन अधिवक्ताओं को राज्य की ओर से अभियोजक नियुक्त किया जाता है उसने भी इतना कम दैनिक मानदेय मिलता है कि उसके परिवार का भरण पोषण भी संभव नहीं है।जिला अधिवक्ता संघ ने प्रधानमंत्री को भेजे 9 सूत्रीय ज्ञापन में मांग की है कि किसान अधिवक्ताओं को कृषक सम्मान निधि दी जाये। सभी अधिवक्ताओं को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाये। अधिवक्ताओं को विधि व्यवसाय के साथ ही अन्य व्यवसाय की स्वतंत्रता दी जाये। इस संबंध में एडवोकेट एक्ट में आवश्यक संशोधन किया जाये। 10 वर्ष तक के प्रारंभिक विधि व्यवसाय की अवधि में उन्हें कम से कम 500 रुपये प्रतिमाह मानदेय और निवास के लिये आवासीय पट्टे व खाली मकानों में एलाटमेंट का प्राविधान किया जाये।

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